भारत में घूमने लायक प्रसिद्द किले (Famous Forts to visit in India)

Aditya
By -
0

 

भारत में बहुत से प्रसिद्ध किलों का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। निम्नलिखित में कुछ प्रमुख किलों के बारे में जानकारी दी गई है:

 

1. कुतुब मीनार, दिल्ली

 

कुतुब मीनार दिल्ली के कुतुब परिसर में स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है। इसका निर्माण 1193 में कुतुब-उद-दीन ऐबक ने शुरू किया था और इसे पूरा फिर उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने किया। यह मीनार 72.5 मीटर ऊँचा है, और यह इस समय का सबसे ऊँचा पत्थर का मीनार है। कुतुब मीनार को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

 

कुतुब मीनार की डिजाइन बेहद अद्वितीय है। इसका आधार चौकोर है और ऊँचाई के साथ-साथ इसका आकार गोलाकार होता जाता है। मीनार के चारों ओर विभिन्न शिलालेखों और सजावटी नक्काशियों के साथ-साथ अरबी शिलालेख भी खुदे हुए हैं। इसकी दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी और काले तथा लाल बलुआ पत्थर का संयोजन इसे और भी आकर्षक बनाता है। मीनार के चारों ओर के आंगन और मीनार के ऊपरी हिस्से से फैलती हुई दृश्यावली इसकी सुंदरता को और बढ़ा देती है।

 

कुतुब मीनार की संरचना पर कई वास्तुकला की शैलियाँ प्रभावित हैं, जैसे कि तुर्की और भारतीय शैली। इसकी तीन तलों पर गोलाकार बेल्ट्स हैं, जो मीनार को एक अद्वितीय और आकर्षक लुक देती हैं। इस मीनार के आस-पास कुतुब परिसर में अन्य ऐतिहासिक संरचनाएं भी हैं, जैसे कि कुतुब मस्जिद, जो इस स्थल की ऐतिहासिक महत्वता को और बढ़ाती हैं।

 

कुल मिलाकर, कुतुब मीनार न केवल वास्तुकला की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दिल्ली की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व इसे भारतीय पर्यटन स्थलों में एक प्रमुख स्थान प्रदान करते हैं।

 


2. लाल किला, दिल्ली

 

लाल किला, जिसे अंग्रेज़ी में Red Fort कहा जाता है, दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक और वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण है। इसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने 1638 से 1648 के बीच करवाया था, जब उन्होंने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया। किला अपने लाल बलुआ पत्थर के लिए प्रसिद्ध है, जो इसके नाम का कारण भी है। लाल किला को 2007 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है, जो इसे भारतीय इतिहास और वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बनाती है।

 

लाल किले की विशाल और मजबूत दीवारें इसकी भव्यता और प्रभावशाली उपस्थिति को दर्शाती हैं। किले की दीवारें लगभग 2.5 किलोमीटर लंबी और 33 मीटर ऊँची हैं, जो इसे एक महाकवि और सशक्त संरचना बनाती हैं। किले के प्रमुख प्रवेश द्वार को 'लाहौरी गेट' कहते हैं, जो अपने अलंकृत और भव्य डिजाइन के लिए जाना जाता है। इसके माध्यम से प्रवेश करते ही, आप किले की अद्वितीय वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व का अनुभव कर सकते हैं।

 

किले के भीतर, **दीवान-ए-आम** और **दीवान-ए-ख़ास** जैसे महत्वपूर्ण कक्ष स्थित हैं। दीवान-ए-आम, जहाँ सम्राट आम जनता के साथ संवाद करते थे, अपने विशाल और सुंदर हॉल के लिए प्रसिद्ध है। इसके सामने स्थित दीवान-ए-ख़ास, जहाँ विशेष दरबारियों के साथ महत्वपूर्ण चर्चाएँ होती थीं, इसके शानदार और अलंकृत आर्केड इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं। इन कक्षों की दीवारों पर बारीक नक्काशी और रंगीन संगमरमर का उपयोग, उस समय की वास्तुकला और शिल्पकला की उत्कृष्टता को दर्शाता है।

 

लाल किला एक अद्वितीय उद्यान और बाग़ों से भी सज्जित है। किले के आंतरिक बाग़ों में सुंदर वाटर चैनल, फव्वारे और हरे-भरे लॉन शामिल हैं, जो मुग़ल सम्राटों की विलासिता और सौंदर्य की भावना को व्यक्त करते हैं। **रंग महल** और **मोतिया महल** जैसी इमारतें, अपने भव्य और रंगीन आंतरिक सजावट के लिए प्रसिद्ध हैं, जो किले की सुंदरता को और बढ़ाते हैं।

 

लाल किला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, भारतीय प्रधानमंत्री यहाँ तिरंगा झंडा फहराते हैं, जो इसे भारतीय राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में स्थापित करता है। किले की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर इसे दिल्ली का एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाती है।

 

कुल मिलाकर, लाल किला भारतीय सम्राज्य की भव्यता और कला का अद्वितीय उदाहरण है। इसकी विशालता, वास्तुकला, और ऐतिहासिक महत्व इसे एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल बनाते हैं, जो भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।

 


3. आगरा किला, आगरा

 

आगरा किला, जिसे अंग्रेज़ी में Agra Fort कहा जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह किला यमुना नदी के किनारे पर स्थित है और इसका निर्माण मुग़ल सम्राट अकबर ने 1565 से 1573 के बीच करवाया था। आगरा किला मुग़ल वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है और यह भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे 1983 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।

 

आगरा किला की विशाल और मजबूत दीवारें इसकी भव्यता और सुरक्षा का प्रतीक हैं। किले की दीवारें लगभग 2.5 किलोमीटर लंबी हैं और इनकी ऊँचाई 20 मीटर तक है। किले का मुख्य प्रवेश द्वार 'अमर सिंह गेट' है, जो सुंदर और अलंकृत है। इसके अंदर कई प्रमुख इमारतें और महल स्थित हैं, जैसे कि 'दीवान-ए-आम' (जनता की सभा कक्ष), 'दीवान-ए-ख़ास' (विशेष सभा कक्ष), 'जवाब महल', और 'कुम्हारों की मस्जिद'

 

दीवान-ए-आम, किले का एक प्रमुख कक्ष है, जहाँ सम्राट अकबर आम जनता की समस्याओं को सुनते थे। इसका विशाल हॉल और सुंदर आर्केड इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं। इसके ठीक सामने दीवान-ए-ख़ास स्थित है, जो विशेष रूप से सम्राट की निजी बैठकें और महत्वपूर्ण मुद्दों की चर्चा के लिए उपयोग किया जाता था। यहाँ पर एक विशेष मंच पर बारीक नक्काशी और अद्वितीय शिल्पकला देखी जा सकती है।

 

किले के अंदर जवाब महल और कुम्हारों की मस्जिद भी स्थित हैं, जो मुग़ल वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। जवाब महल अपनी बारीक नक्काशी और भव्य सजावट के लिए प्रसिद्ध है। कुम्हारों की मस्जिद, जो किले के उत्तर-पूर्व कोने में स्थित है, एक सुंदर और शांतिपूर्ण स्थल है और इसकी वास्तुकला अत्यंत आकर्षक है।

 

आगरा किले की खास बात यह भी है कि यह ताजमहल के पास स्थित है, और किले से ताजमहल का अद्भुत दृश्य देखा जा सकता है। किले के प्राचीरों से ताजमहल की भव्यता और उसकी सफेदी की झलक मिलती है, जो आगरा किले की सुंदरता को और भी बढ़ा देती है।

 

आगरा किला भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। इसकी ऐतिहासिक, वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर इसे भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्थल बनाती है। किले की विशालता, शिल्पकला और ऐतिहासिक महत्व इसे आगरा का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल बनाते हैं।

 


4. गौर किला, मध्य प्रदेश

 

गौर किला, जिसे अंग्रेज़ी में Gaur Fort कहा जाता है, मध्यप्रदेश के दमोह जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह किला प्राचीन गोंडवाना साम्राज्य के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में जाना जाता है और इसे गोंडवाना साम्राज्य के गौर प्रमुखों ने बनवाया था। गौर किला 11वीं सदी का है और इसका वास्तुशिल्प और ऐतिहासिक महत्व इसे मध्यप्रदेश के प्रमुख किलों में से एक बनाते हैं।

 

गौर किले का वास्तुकला और इसकी संरचना अत्यंत प्रभावशाली है। किले की दीवारें विशाल और मजबूत हैं, जो एक समय में किले की रक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। किले में कई द्वार, मीनारें, और किले की संरचनाओं के अवशेष आज भी मौजूद हैं, जो उस समय की उन्नत निर्माण तकनीक को दर्शाते हैं। किले का एक प्रमुख आकर्षण इसके भव्य प्रवेश द्वार हैं, जो वास्तुकला की विशेष कला को उजागर करते हैं।

 

किले के अंदर, कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक इमारतें और स्थल स्थित हैं। इनमें से रानी महल और काला महल प्रमुख हैं। रानी महल अपनी सुंदर और विस्तृत आंतरिक सजावट के लिए प्रसिद्ध है, जबकि काला महल अपनी मजबूत संरचना और ऐतिहासिक महत्व के कारण जाना जाता है। इन महलों की दीवारों पर प्राचीन चित्रकला और नक्काशी देखी जा सकती है, जो उस समय की कला और संस्कृति को दर्शाती है।

 

गौर किला प्राकृतिक सौंदर्य से भी घिरा हुआ है। किला एक पहाड़ी पर स्थित है, जो आसपास के हरे-भरे दृश्यों और जंगलों के अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। यहाँ से सूर्यास्त और सूर्यास्त के दृश्य विशेष रूप से सुंदर होते हैं, जो पर्यटकों को प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने का अवसर प्रदान करते हैं।

 

इस किले की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर इसे मध्यप्रदेश के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में शामिल करती है। गौर किला, अपने भव्य वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व, और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण, एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है जो भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रति रुचि रखने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य है।

 


5. चित्तौड़गढ़ किला, राजस्थान

 

चित्तौड़गढ़ किला राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और भव्य किला है। यह किला 7वीं शताब्दी में निर्माणाधीन हुआ था और राजस्थान के सबसे बड़े किलों में से एक माना जाता है। चित्तौड़गढ़ किला एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है और इसे 2013 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसका निर्माण चित्तौड़गढ़ साम्राज्य की शक्ति और समृद्धि को दर्शाता है।

 

किले का क्षेत्रफल लगभग 700 एकड़ है, और यह एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, जिससे इसके चारों ओर का दृश्य अत्यंत खूबसूरत और प्रभावशाली है। किले की दीवारें लगभग 13 किलोमीटर लंबी हैं और इसके अंदर 22 द्वार हैं, जो विभिन्न ऐतिहासिक कालों में बनवाए गए थे। किले की विशाल और मजबूत दीवारें इसे एक अपराजेय किला बनाती हैं और इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं।

 

चित्तौड़गढ़ किला के अंदर कई प्रमुख महल, मंदिर, और ऐतिहासिक स्थल स्थित हैं। इनमें से रानी पद्मिनी महल एक महत्वपूर्ण आकर्षण है। यह महल महारानी पद्मिनी के लिए प्रसिद्ध है और इसकी सुंदर वास्तुकला और सजावट उस समय की कला और संस्कृति को दर्शाती है। महल के भीतर एक स्वर्णिम और विस्तृत सजावट की झलक देखने को मिलती है।

 

विजय स्तंभ, जिसे कीलन महल भी कहते हैं, किले के मध्य में स्थित एक 37 मीटर ऊँचा स्मारक है। इसका निर्माण महाराणा कुम्भा ने 1448 में विजय की स्मृति में करवाया था। विजय स्तंभ की बारीक नक्काशी और भव्यता किले की ऐतिहासिक महत्वता को दर्शाती है और यह एक प्रमुख स्थापत्य कला का उदाहरण है।

 

किले के अंदर सिद्धेश्वर मंदिर, कलिका माता मंदिर, और राम मंदिर जैसे प्राचीन मंदिर भी स्थित हैं। ये मंदिर किले की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं और इनकी वास्तुकला विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती है। इन मंदिरों की शिल्पकला और स्थापत्य कला किले की सांस्कृतिक समृद्धि को प्रदर्शित करती है।

 

चित्तौड़गढ़ किला एक ऐतिहासिक स्थल होने के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरा हुआ है। यहाँ से सूर्यास्त और सूर्यास्त के दृश्य विशेष रूप से सुंदर होते हैं। किले की पहाड़ी स्थिति से आसपास के हरे-भरे दृश्य और जंगलों का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत होता है, जो पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का अवसर प्रदान करता है।

 

कुल मिलाकर, चित्तौड़गढ़ किला भारतीय इतिहास, वास्तुकला, और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी भव्यता, ऐतिहासिक महत्व, और प्राकृतिक सुंदरता इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाते हैं और भारतीय संस्कृति के प्रति रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य है।

 


6. कणकगढ़ किला, कर्नाटक

 

कणकगढ़ किला, जिसे अंग्रेज़ी में Kankagad Fort कहा जाता है, मध्य प्रदेश के विजयपुरा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह किला 16वीं सदी में बहमनी सुलतान की गवर्नर वायसुदेव ने बनवाया था। कणकगढ़ किला भारतीय किलों के अद्वितीय उदाहरणों में से एक है, और इसकी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व इसे एक प्रमुख स्थल बनाते हैं।

 

कणकगढ़ किला एक पहाड़ी पर स्थित है, जो इसे आसपास के क्षेत्र से ऊँचा और प्रभावशाली बनाता है। किले के चारों ओर की दीवारें और किले की संरचनाएं इसके सुरक्षा और वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं। किले की दीवारों पर की गई बारीक नक्काशी और निर्माण तकनीक उस समय की उन्नत स्थापत्य कला को दर्शाती है। किला क्षेत्रफल में बड़ा है और इसमें कई कक्ष, महल, और अन्य महत्वपूर्ण स्थल स्थित हैं।

 

किले के भीतर, **रानी महल** और **सिद्धेश्वर मंदिर** जैसे महत्वपूर्ण स्थल हैं। रानी महल अपनी भव्य और अलंकृत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की दीवारों पर प्राचीन चित्रकला और शिल्पकला देखी जा सकती है। सिद्धेश्वर मंदिर, जो किले के एक कोने में स्थित है, एक धार्मिक स्थल है और इसकी स्थापत्य कला विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती है।

 

कणकगढ़ किला प्राकृतिक सौंदर्य से भी घिरा हुआ है। किला एक हरे-भरे वातावरण में स्थित है, जहाँ से आसपास के क्षेत्र का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। यहाँ की ऊँचाई और किले की स्थिति से सूर्यास्त और सूर्यास्त के दृश्य विशेष रूप से सुंदर होते हैं, जो किले की प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ा देते हैं।

 

कणकगढ़ किला एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है, जो भारतीय किलों की वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। इसकी ऐतिहासिक महत्वता, स्थापत्य कला, और प्राकृतिक सौंदर्य इसे मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाते हैं। यहाँ की भव्यता और शिल्पकला इतिहास और वास्तुकला के प्रति रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य है।

 


7. जूनागढ़ किला, गुजरात

 

जूनागढ़ किला, जो गुजरात के बानासकांठा जिले में स्थित है, भारतीय किलों का एक महत्वपूर्ण और भव्य उदाहरण है। इस किले का निर्माण 1589 में राव वीरसाल द्वारा शुरू किया गया था और इसका पूरा निर्माण 1593 में पूरा हुआ। यह किला राठौड़ वंश के प्रमुख सम्राटों का निवास स्थान था और इसके वास्तुशिल्प ने उस समय की समृद्धि और कला को दर्शाया है।

 

जूनागढ़ किला एक पहाड़ी पर स्थित है और इसकी भव्य दीवारें लगभग 10 किलोमीटर लंबी हैं। किले की दीवारें लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनी हैं, जो इसके स्थापत्य सौंदर्य को और बढ़ाती हैं। किला एक महत्त्वपूर्ण रक्षा किला भी था, जिसकी दीवारें और बुर्ज इसकी सुरक्षा की शक्ति को दर्शाते हैं। किले के चारों ओर खुदाई की गई खाई और मजबूत किलेबंदी इसे एक अद्वितीय और प्रभावशाली संरचना बनाती हैं।

 

किले के भीतर कई महत्वपूर्ण महल और कक्ष स्थित हैं, जो उसकी ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्वता को दर्शाते हैं। दीवान-ए-आम (जनता के कक्ष) और दीवान-ए-ख़ास (विशेष दरबार कक्ष) किले के प्रमुख आकर्षण हैं। दीवान-ए-आम, जहाँ सम्राट जनता से मिलते थे, अपने विशाल और खुली योजना के लिए प्रसिद्ध है। इसके सामने स्थित दीवान-ए-ख़ास, जहाँ विशेष दरबारियों के साथ महत्वपूर्ण चर्चाएँ होती थीं, अपने अलंकृत और भव्य डिज़ाइन के लिए जाना जाता है। इन कक्षों की दीवारों पर बारीक नक्काशी और रंगीन चित्रकला उस समय की स्थापत्य कला को दर्शाती है।

 

किले के अंदर रानी महल, सुरज महल, और चंद्र महल जैसी प्रमुख इमारतें भी हैं। रानी महल अपनी विस्तृत सजावट और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। सुरज महल का प्रमुख आकर्षण इसकी भव्य छत और सुंदर आंतरिक सजावट है, जबकि चंद्र महल अपनी जटिल नक्काशी और शाही शान के लिए जाना जाता है। इन महलों की वास्तुकला और आंतरिक सजावट किले की समृद्धि और शाही वैभव को प्रदर्शित करती है।

 

जूनागढ़ किला प्राकृतिक सौंदर्य से भी घिरा हुआ है। किले की पहाड़ी स्थिति से आसपास के हरे-भरे दृश्य और पर्वतीय परिदृश्य का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है। यहाँ की शांति और प्राकृतिक सौंदर्य इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाते हैं। किले के चारों ओर की सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व इसे भारतीय किलों में एक प्रमुख स्थल बनाते हैं, जो इतिहास और वास्तुकला के प्रति रुचि रखने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य है।

Top of Form

Bottom of Form

 


 

इन किलों की वास्तुकला, निर्माण की शैली और ऐतिहासिक महत्व भारत के विविध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं।

Top of Form

 

Thanks for visit my page…

 

Bottom of Form

 

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)