1. Shankaracharya Hill - शंकराचार्य मंदिर को तख़्त-ए-सुलेमन के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर कश्मीर स्थित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।राजा गोपादत्य ने शंकराचार्य पहाड़ी की चोटी पर एक मंदिर का निर्माण 371 ईसा पूर्व के आसपास किया था। इसलिए जिसके बाद मंदिर का नाम राजा के नाम पर ही रखा गया था। बाद में आदि शंकराचार्य, इस स्थान पर कश्मीर यात्रा के दौरान ठहरे थे इसलिए इस मंदिर का गोपादारी से नाम बदलकर शंकराचार्य कर दिया गया था। इस मंदिर का निर्माण 371 हुआ था। इस मंदिर को देखने के लिए नियमित भक्तों की कई मंडली यहां पहुंचती है।
Dal lake --- डल झील कश्मीर की राजधानी श्रीनगर की एक प्रसिद झील है | 28km क्षेत्र में फैली यह झील तीन दिशाओ से पहाडियों से घिरी हुई है | डल झील के मुख्य आकर्षण का केंद्र है यहा के शिकारों या हाउसबोट है | पर्यटक यात्री इन हाउसबोट में रहकर झील का आनंद उठा सकते है |झील देवदार के हरे – भरे वनों के बिच का घिरी हुई है| डल झील के आस पास का क्षेत्र प्राकृतिक स्वर्ग है |शिकारों पर दुकाने भी लगी होती है और शिकारों पर सवार होकर विभिन्न प्रकार की वस्तुए भी खरीदी जा सकती है | डल झील इसके अतरिक्त मुख्य रूप से मछली पकड़ने का काम भी होता है | इसे ‘श्रीनगर का गहना’ या ‘कश्मीर के मुकुट’ भी कहा जाता हैं|झील के चार जलाशय हैं गग़रीबल, लोकुट डल, बोड डल तथा नागिन। इसके अलावा लोकुट डल के मध्य में रूप लंक द्वीप स्थित है तथा बोड डल जलधारा के मध्य में सोना लंक स्थित है जो इस झील की ख़ूबसूरती को ओर अधिक बढ़ाते हैं।कमल के फूल, पानी में बहती कुमुदनी, झील की सुंदरता में चार चाँद लगा देती है। पर्यटक यहां आकर पानी में खेले जाने वाले गेम्स का भी मजा उठा सकते हैं जिनका आयोजन यहां अक्सर किया जाता है। स्विमिंग, वॉटर सर्फिंग, कायाकिंग, ऐंगलिंग और कैनोइंग, डल झील के प्रमुख वॉटर गेम्स हैं।डल झील के आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता अधिक संख्या में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
Gulmarg gondola - गुलमर्ग में केबल कार की सवारी के दौरान पर्यटक यात्री पहाड़ो
और बर्फ के मनोरम दृश्य का लुप्त उठाते है | यहा की केबल कार दुनिया की दूसरी सबसे लम्बी और दूसरी सबसे ऊँची केबल कार है | सितंबर के महीने में यहा बहुत से यात्री घुमने जाते है | इसकी सुन्दरता के कारण इसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है | इसे फूलो के परदेश के नाम से भी जाना जाता है , इसके हरे भरे ढलान सैलानियों को अपनी और आकर्षित करते है | समुन्द्र तल से 2730 मी. की ऊचाई पर बसे गुलमर्ग में सर्दी के मौसम के दौरान यहा बड़ी संख्या में पर्यटक आते है |गुलमर्ग में घूमने लायक स्ट्रॉबेरी घाटी, निंगले नाला, कंचनजंगा संग्रहालय, सेंट मैरी चर्च, महारानी मंदिर, अफरवट शिखर, गोल्फ कोर्स, अलपाथेर झील, खिलनमर्ग, कोंग डोरी गोंडाला, इत्यादि जगह मशहूर है।ये आकर्षित स्थल समुद्र तल से लगभग 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं और बर्फ से ढके पहाड़ों, हरे-भरे घास के मैदान, गहरी खाई, सदाबहार वन, आकर्षित पर्वत, पहाड़ियों और घाटियों से घिरा हुआ है|चारों ओर से हरे भरे चरागाहों के साथ बर्फ से लदे पहाड़ों से घिरी यह एक ऐसी जगह है जहां आपको अवश्य जाना चाहिए। निंगली नाला में पानी का मुख्य स्रोत अपहरवत चोटी के साथ-साथ अल्पाथर झील का पानी है। इस जगह में कई स्कीइंग ऑपरेटर और संस्थान हैं जो आपको आइस स्केटिंग करने के लिए अच्छे से पहले गाइड करते हैं। स्केटिंग करने का सबसे अच्छा समय जनवरी और फरवरी है, क्योंकि इस समय सबसे ज्यादा बर्फ पड़ती है। आइस स्केटिंग करने की फीस यहां 400 रुपए से शुरू होती है।गुलमर्ग का महारानी मंदिर भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है और एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है जो शहर के सभी कोनों से दिखाई देता है। हरे घास के मैदानों में स्थित ये लाल रंग का मंदिर बेहद खूबसूरत दिखता है।
Sonamarg - सोनमार्ग भारत के जम्मू के गान्दरबल जिले में एक पर्वतीय पर्यटक स्थल
है | कृष्नासर झील यहा का प्रमुख पर्यटक का केंद्र है यहा सालाना बहुत से
यात्री घुमने के लिए आते है | सोनमर्ग सिन्द नाले नामक नदी की घटी में है|
सोनमर्ग से आगे ऊँचे पर्वत है और कई प्रसिद ग्लेसियर स्थित है | राष्ट्रीय राजमार्ग 1 इसे पक्षिम में श्रीनगर और पूर्व में लदाख से जोड़ता है | सोनमर्ग में मुख्य रूप से घुमने हेतु प्राकृतिक जगह है , जैसे चट्टानें , नदिया , बर्फीले पहाड़ , घाटिया , घास का मैदान आदि जगह है |यह अपनी प्रकृतिक सुंदरता, झीलों, दर्रे और पर्वतों के लिए पूरे वर्ल्ड में फेमस है। समुद्र सतह से लगभग 2,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सोनमर्ग अमूमन बर्फ की चादरों से ढका रहता है। वसंत ऋतु में सोनमर्ग जब सुंदर और खूबसूरत फूलों से ढक जाता है तो इसका नजारा सैलानियों को और भी ज्यादा आकर्षित करता है।सोनमर्ग को झीलों की नगरी भी कहा जाता है। यहां छोटी-बड़ी कई झीलें है। समुद्र सतह से लगभग 3710 मीटर की ऊंचाई पर स्थित विशनसर झील अपने आकर्षित दृश्य और प्रमुख पर्यटन स्थल के लिए जाना जाता है। भारत का स्वर्ग, जम्मू और कश्मीर को ऐसे ही नहीं कहा जाता है। सोनमर्ग का थजिवास ग्लेशियर भी कुछ इसी तरह का है। इस जगह को जम्मू और कश्मीर में धरती का स्वर्ग माना जाता है। सफ़ेद बर्फ की चादरों में लिपटी यह जगह पर्यटकों के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है। बर्फ-बारी के दौरान इस जगह पर पर्यटकों का हमेशा जमावड़ा और भी अधिक लगा रहता है। सोनमर्ग की सैर करने के लिए आप नवंबर से अप्रैल के बीच और मई से अक्टूबर के बीच जा सकते हैं। अगर आपको यहां की बर्फबारी का आनंद उठाना हो तो नवंबर से अप्रैल के बीच में यहां जा सकते हैं।
1. Vaishno devi ---- माता वैष्णो देवी का मंदिर त्रिकुट पर्वत पर स्थित है | यहा सालाना लाखो भक्त माता का दर्शन करने के लिए आते है | यह मंदिर पर्यटकों के लिए घुमने का एक बहुत बड़ा केंद्र भी है | यह भारत में कुछ सबसे मुख्य और सर्वाधिक देखे जाने वाले तीर्थ स्थलों में से एक है | मंदिर 5200 फिट की ऊंचाई पर , कटरा से लगभग 12 km की दुरी पर स्थित है | वेद पुराणों के हिसाब से ये मंदिर 108 शक्ति पीठ में भी शामिल है | भक्तों का मानना है कि देवी स्वयं भक्तों को यहां पहुंचने के लिए बुलाती हैं। सभी भक्त यात्रा के दौरान ऐसा कहते है। की चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है। ऐसे गुणगान गाते हुए सभी लोग मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते है। जो भारत में सदियों से बोला जा रहा है। श्रद्धालुओ का मानना है की यह पवित्र मंदिर की यात्रा में वैष्णो देवी माता के नाम से कठिन यात्रा को भी को पूरा करने में सक्षम होते हैं।ऐसा कहा जाता है कि माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा की खोज एक हिंदू पुजारी पंडित श्रीधर ने की थी। माता वैष्णो देवी मंदिर साल भर खुला रहता है। और माता वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मार्च और अक्टूबर के बीच है। उसके अलावा आपके अनुभव पर निर्भर करता है। भक्त नवरात्रों के पवित्र समय के दौरान अपनी तीर्थ और यात्रा की योजना बनाना भी पसंद करते हैं। क्योकि नवरात्रों के समय यहाँ नवरात्री महोत्सव धाम धूम मनाया जाता है। वसंत और शरद ऋतु के समय में यहाँ की हरियाली आपके दिल को चुरा लेती है। और यह स्थल एक बर्फीली परी की तरह दिखता है।वैष्णोदेवी के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं बेहद लोकप्रिय हैं। और पर्यटकों को बादलों के बीच मंदिर में एक सुंदर सवारी कराते हैं। सेवाएं कटरा की तलहटी से शुरू होती हैं और सांझीचट्टी में समाप्त होती हैं।
Jai maa vaishno devi
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