उत्तराखंड राज्य के 5 पर्यटक स्थल जहा सभी पर्यटक यात्री को एक बार जरुर घूमना चाहिए | (Uttrakhand)

Aditya
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1.   Rishikesh --- “ऋषिकेश “ भारत के उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले में स्थित है | हिमालय की पहाड़िया और प्राकृतिक सौन्दर्य से ही इस धार्मिक स्थान से बहती गंगा नदी ऋषिकेश को अतुल्य बनती है | ऋषिकेश का शांत वातावरण कई विख्यात आश्रमों का घर है|

हर साल ऋषिकेश के आश्रमों में बड़ी संख्या में तीर्थस्थल धयान लगाने और मन की शांति के लिए आते है | स्वतंत्रता के बाद ऋषिकेश को पवित्र हिन्दू शहर के रूप में घोषित कर दिया गया | यह नगर धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महतवपूर्ण हैं |ऋषिकेश में अगर आप घुमने का प्लान बना रहे है तो यहा पर आपकी जरुरत की लगभग सभी चीजे उपलब्ध होती है | ऋषिकेश में विशाल श्रीखंलाये यहा पर रोमांचकारी अनुभव प्रदान करती है इसके अलावा यहा की नदिया भी रिवर राफ्टिंग के लिए पुरे विश्व भर में प्रसिद है |

धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ ही ऋषिकेश में घुमने के लिए कई ऐसी जगह हैं जहा पर आप खुद को प्राकृतिक के बेहद नजदीक महसूस करेंगे | यहा पर ऊँचे ऊँचे पहाड़ चारो तरफ हरी – भरी हरियाली और सुन्दर प्राकृतिक नज़ारे को देखकर लोग यहा पर खींचे चले आते है | रिवर राफ्टिंग का आनंद लेने के लिए यहा पर देश – विदेश पर्यटक भारी संख्या में यहा आते है | यहा पर रिवर राफ्टिंग के लिए कई प्रकार की संस्थाए आपको पैकेज उपलब्ध कराती है | आप अपनी सुविधा अनुसार किसी भी प्रकार का पैकेज चुन सकते है | रोमांचक रिवर राफ्टिंग का आनंद लेना चाहते हैं तो आपको ऋषिकेश जरुर आना चाहिए |

·        Lakshman jhula --- लक्ष्मण झुला एक पर्यटक स्थल है जो ऋषिकेश में ही है जहा सालाना हजारो यात्री घुमने के लिय आते है | लक्ष्मण झुला ऋषिकेश की शान माना जाता है झूला के विषय में यह कहा जाता है की इसी स्थान पर भगवान लक्ष्मण ने अपने बड़े भाई श्री राम और माता सीता के लिए जुट से निर्मित झूला  का निर्माण किया था जो गंगा नदी के एक किनारे से दुसरे किनारे तक जाता है | झूले की कुल लम्बाई 450 मीटर की है इस झूले के मध्य में पहुचने पर आपको यह झूला हिलता हुआ प्रतीत होता है इस झूले के बिच में पहुंचकर आप आसपास के विहंगम प्राकृतिक दृश्य की देखकर मंत्रमुग्ध हो जायेंगे | 

1.   NAINITAL ---- नैनीताल को भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है , क्यूंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है | ‘नैनी’ शब्द का अर्थ होता है आँखे और ‘ताल’ का अर्थ है झील|

बर्फ के बिच बसा यह स्थान झीलों से घिरा हुआ है | इनमे से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर जगह का नाम नैनीताल पड़ा है |अक्टूबर से फरवरी का महिना नैनीताल जाने का सही समय होता है | भले ही इस समय आपको नैनीताल का मौसम सुहावना देखने को नही मिलेगा, लेकिन सर्दी के दौरान टिफिन टॉप के साथ साथ नैनीताल के अन्य माउन्टेन पिक के सनराइज और सनसेट का नजारा देखने का अलग ही मजा होता है |

·        पर्यटक यहा नैनीताल में टिफिनटॉप, किलबरी, स्नो क्यू पॉइंट, हाई ऐल्टीत्युड जू, लैंड्स एंड और हनुमानगदी घूम सकते है | खुर्पाताल और नौकुचियाताल जैसे आसपास के स्थान भी नैनीताल के आकर्षण का केंद्र है |

·        यदि आप नैनीताल के साथ साथ भीमताल को कवर करना चाहते है तो नैनीताल में एक रात ठहरने के साथ साथ दो दिन यह रुकिए | हालाँकि जो पर्यटक नैनीताल के आसपास के स्थानों पर घुमने के साथ साथ प्राकृतिक का आनंद लेना चाहते है उन्हें इन जगहों को घुमने के लिए दो दिन  और चाहिए होते है |

·        नैनीताल का प्रसिद भोजन है रास (यह कई पकवानों के बनी एक डिस होती है ) इसके अलावा बावड़ी भट्ट की चुरानी, आलू के गुटके (उबले आलू की मसालेदार डिश ) आरसा एक स्वीट डिश, गुलगुला एक स्वीट स्नैक भी नैनीताल में बहुत फेमस है | अगर आप नैनीताल घुमने आते है तो आप यहा की ये सब डिश जरुर आनंद ले |


 


 

 

 

 

 

1.   Haridwar --- हरिद्वार, उत्तराखंड राज्य का एक पवित्र नगर तथा हिन्दुओ का प्रमुख तीर्थ        स्थल है | यह बहुत प्राचीन नगरी है | हरिद्वार हिन्दुओ के सात पवित्र स्थलों में से एक है | 3139 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अपने स्रोत गोमुख (गंगोत्री हिमनद) के 253 किमी की यात्रा करके गंगा देवी हरिद्वार को ‘गंगाद्वार’ के नाम से भी जाना जाता है; जिसका अर्थ है वह स्थान जहा पर गंगाजी मैदानों में प्रवेश करती है | हरिद्वार का अर्थ “हरी (ईश्वर) का द्वार” होता है | भक्तो का मानना है की वे हरिद्वार में पवित्र गंगा में एक डुबकी लगाने के बाद स्वर्ग में जा सकते है | गंगा नदी की पहाड़ो से मैदान तक की यात्रा में हरिद्वार पहले प्रमुख शहरो में से एक है और यही कारण है की यहा पानी साफ़ और शांत है |

·        हरिद्वार की खासियत है की यहा “हर की पौड़ी” नामक एक घाट है | घाट को “हर की पौड़ी” नाम से इसीलिए बुलाया जाता है क्यूंकि इस जगह पर भगवान श्री हरी आये थे और इस स्थान पर उनके चरण पड़े थे | यह जगह उन लोगो के लिए आदर्श तीर्थ स्थान है, जो मृत्यु और इच्छा की मुक्ति के बारे में चिंतित है |

·        चंडी देवी मंदिर हरिद्वार में बहुत प्रसिद मंदिर हैं | यह मंदिर देवी चंडी देवी को समर्पित हैं |

·        हरिद्वार मुख्यत धार्मिक स्थान हैं, यहा बहुत पुराने मान्यता वाले मंदिर हैं, जिसकी अलग अलग कहानी और लोंगो की आस्था हैं यहा बहुत सारे सुन्दर सुन्दर घाट भी है, यहा बहुत सारे सुन्दर सुन्दर घाट भी है, जहा रोज गंगा जी की महाआरती होती है | 


 

1.   Kedarnath ---- केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिन्दुओ का प्रसिद मंदिर हैं | उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मंदिर बारह ज्योतिलिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से  भी एक हैं | यहा की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मंदिर अप्रैल से नवम्बर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता हैं |

·        पत्थरों से बने कत्युरी शैली से बने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की इसका निर्माण पांडवो के पौत्र महाराजा जनमेजय ने कराया था | यहा स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन हैं | आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया |

·        केदारनाथ की विशेषता यह है की पत्थरों को एक – दुसरे से जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग तरीके का इस्तेमाल किया गया हैं |इस मजबूती के कारण ही मंदिर आज भी अपने उसी स्वरुप में खड़ा हैं | यह मंदिर तीनो तरफ से पहाड़ो से घिरा हुआ है और यहा पांच नदियों का संगम भी होता है | उन नदियों के नाम – मन्दाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती, और स्वर्णगौरी आदि है |

·        केदारनाथ का सबसे बड़ा रोचक तथ्य यह है की यहा जलने वाली अखंड ज्योत या दीपक दरसल जब मंदिर के पुजारियों के द्वारा सर्दियों में मंदिर का कपाट बंद कर ताला लगा दिया जाता हैं तब मंदिर के अन्दर एक जलता हुआ दीपक छोड़ दिया जाता हैं | इसके छः माह के बाद जब मंदिर के कपाट पुनः खोले जाते हैं तब वह दीपक उसी तरह जलता हुआ पाया जाता हैं |

·        केदारनाथ के पुजारियों को रावल कहा जाता हैं | रावल शंकराचार्य के वंशज हैं |

 

 


 

1.   Badrinath ---- यह मंदिर देवता विष्णु को समर्पित मंदिर हैं और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों, में से एक यह एक प्राचीन मंदिर हैं जिसका निर्माण 7वी -9वी सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं | मंदिर के नाम पर ही इसके इर्द – गिर्द बसे नगर को भी बद्रीनाथ ही कहा जाता हैं |

·        बद्रीनाथ मंदिर के नाम में ही एक रहस्य भी छिपा हुआ है, पुराणों के अनुसार, जब भगवान विष्णु ध्यान में विलीन थे, तब उस समय ज्यादा बर्फ गिरने वाली थी, इसकी वजह से पूरा मंदिर ढक गया था | तब माता लक्ष्मी ने बद्री यानी एक बेर के पेड़ का रूप ले लिया | ऐसे विष्णु जी पर गिरने वाली बर्फ बेर के पेड़ पर गिरने लगी |

·        भारत का पहला धाम भी बद्रीनाथ को ही माना जाता हैं |

·        बद्रीनाथ की विशेषता यह हैं की कहा जाता हैं की यहा पहले भगवान भोलेनाथ का निवास हुआ करता था लेकिन बाद में भगवान विष्णु ने इस स्थान को भगवान शिव से मांग लिया था | बद्रीनाथ धाम दो पर्वत के बिच बसा हैं इन्हें नर नारायण पर्वत कहा जाता हैं कहा जाता हैं की यहा भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने तपस्या की थी |

·        आदि शंकराचार्य ने नौवी शताब्दी में बद्रीनाथ को एक तीर्थस्थल के रूप में स्थापित किया था | मंदिर में तिन संरचनाये हैं: गर्भगृह, दर्शन मंडप, और सभा मंडप

·        बद्रीनाथ को शास्त्रों और पुराणों में दूसरा नाम बैकुण्ठ कहा जाता हैं | एक बैकुण्ठ क्षीर सागर हैं जहा भगवान विष्णु निवास करते हैं और विष्णु का दूसरा निवास बद्रीनाथ हैं जो धरती पर मौजूद हैं |

चार धाम में से एक बद्रीनाथ के बारे में एक कहावत प्रचलित है की ‘जो जाए बदरी, वो न आए ओदरी’ | अथार्त जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता हैं, उसे पुनः उदर यानी गर्भ में नही आना पड़ता हैं | मतलब दूसरी बार जन्म नही लेना पड़ता है | शास्त्रों के अनुसार मनुष्य को जीवन में कम से कम दो बार बद्रीनाथ की यात्रा जरुर करनी चाहिए|        

 


 

 

 

 

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