उत्तर प्रदेश के 8 सबसे बेहतरीन घुमने की जगहे | part 1 (Uttar Pradesh)

Aditya
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1.    मथुरा --- यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरे जिले में स्थित एक नगर हैं | मथुरा एतिहासिक रूप से कृष्ण राजवंश द्वारा राजधानी के रूप में विकशित नगर हैं | यह धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसीद हैं | मथुरा को कृष्णा जन्मभूमि के नाम से भी जाना जाता हैं|

मथुरा में घुमने की जगहे – कृष्ण जन्मभूमि , कंस किला , गोवर्धन पर्वत , द्वारकाधीश मंदिर , मथुरा संग्राहलय , कुसुम सरोवर , राधा कुंड , बरसना etc

कृष्ण जन्मभूमि --- “ कृष्ण जन्मभूमि “ आपको नाम से ही समझ आ रहा होगा की इस जगह पर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ होगा | इसी कारण की वजह से यहाँ एक भव्य मंदिर बनाया गया हैं और हिन्दू समाज के लिए इस मंदिर का बहुत ही अधिक महत्व हैं|

कंस किला ---- यह किला मथुरा का ही एक बहुत ही प्राचीन और पुराना किला हैं | यह किला महाभारत के समय का हैं जो की अभी भी मथुरा में मौजूद हैं और इस किले को देखने के लिए बड़े दूर दूर से लोंगो का आगमन होता रहता हैं | यह किला यमुना नदी के तट पर स्थित हैं |

गोवर्धन पर्वत --- गोवर्धन पर्वत वृन्दावन के पास स्थित हैं जो की मथुरा से 22 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैं | इस पर्वत को बेहद ही पवित्र मन जाता हैं | वर्त्तमान समय में भी गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गोवर्धन पर्वत की पूजा पुरे विधि विधान के साथ की जाती हैं |

द्वारिकधिश मंदिर ---- द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण को कहा जाता हैं | क्यूंकि भगवान श्री कृष्ण द्वारिका के राजा हुआ करते थे | इसी कारण से उस भूमि पर द्वारिकाधीश मंदिर का निर्माण किया गया हैं जिसके अन्दर भगवान श्री कृष्ण को द्वारिका के राजा के रूप में सजाया गया हैं |

बरसना ----- बरसना एक बहुत ही सुन्दर और पवित्र शहर और एक नगर पंचायत हैं , जो की उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरे जिले में स्थित है | बरसाना में राधा रानी का जन्म हुआ था | इसी कारण से यह पर राधा रानी के रूप में एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया हैं , जिसे देखने के लिए हजारो की तादाद में लोंगो का आना जाना लगा रहता हैं |

2.आगरा ---- यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले में यमुना नदी के तट पर स्थित एक नगर हैं |

दर्शनीय स्थल – ताजमहल , आगरा का किला , फतेहपुर सिकरी , एतमादुल्लाह का मकबरा , जामा मस्जिद , सिकंदर (अकबर का मकबरा )

ताजमहल --- आगरे का ताजमहल , शाहजहाँ की प्रिय बेगम मुमताज महल का मकबरा विश्व की सबसे प्रसिद इमारतो में से एक हैं | यह विश्व के 7 अजूबो में से एक हैं और आगरा की तिन विश्व सांस्कृतिक धरोहरों में से एक हैं | इसे देखने के लिए देश से ही नही बल्कि विदेशो से भी हजारो लाखों की तादाद में पर्यटक आते हैं यह एक ऐसी जगह हैं जहा पर कोई भी ऑफ सीजन नही होता हैं और पर्यटक साल भर आते रहते हैं |

आगरा का किला --- आगरा के इस खुबसूरत किले का निर्माण सन 1565 ईस्वी में मुग़ल बादशाह अकबर ने करवाया था लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित इस किले का डिज़ाइन “लाल किला” से मिलता होने के कारण इसे आगरा का लाल किला नाम से भी जाना जाता हैं | इस किले में पर्यटकों के लिए कई देखने योग स्थल हैं  जिसमे शीश महल , दीवाने – ए – खास , जहागीर महल और अंकुर बाग़ मौजूद हैं इसके अलावा आगरा का यह शानदार किला यूनेस्को के विश्व स्थल में भी शामिल हैं |

एतमादुल्लाह का मकबरा --- यह एक मकबरा हैं जो 1628 में बनकर तैयार हुआ था यहा पर भी काफी पर्यटक आते हैं तक़रीबन 23 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ हैं यह मकबरा यमुना नदी के पूर्वी तट पर बना हुआ हैं कहते हैं की गहनों का डिब्बा और छोटा ताज नाम से जाना जाने वाला एतमादुल्लाह का मकबरा विश्व प्रसिद ताजमहल की पहली प्रेरणा थी

अकबर का मकबरा --- अकबर का मकबरा आगरा शहर का एक और प्रसिद पर्यटन स्थल जहा अकबर को दफ़न किया गया हैं यह आगरा से करीब 13 किलोमीटर दूर सिकंदर नामक स्थान पर स्थित हैं | जरासल अकबर की यह चाह थी की उसके मरने के बाद एक मकबरे का निर्माण करवाया जाए जिसके बाद अकबर के पुत्र जहागीर ने अपने पिता के इच्छा को पूरा करने के लिए सन 1613 ईस्वी में सिकंदर नामक स्थान आगरा में इसका निर्माण करवाया | लाल बालुओ पत्थरों से निर्मित यह विशाल मकबरा हरे भरे उधान के बिच स्थित हैं |

 
 

3.वाराणसी ---- इसे काशी और बनारस भी कहा जाता हैं , भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन नगर हैं | हिन्दू धर्म में यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं और बौद्ध व जैन धर्मो का भी एक तीर्थ हैं | हिन्दू मान्यता में इसे “अविमुक्त क्षेत्र “ कहा जाता हैं | वाराणसी संसार के प्राचीन बसे शहरो में से एक हैं |

पर्यटक स्थल --- अस्सी घाट , तुलसी मानसा मंदिर , काशी विश्वनाथ मंदिर , दुर्गा मंदिर , मणिकर्णिका घाट, चुनार का किला

अस्सी घाट --- वाराणसी रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दुरी पर स्थित अस्सी घाट एक ऐसी पवित्र जगह हैं जहा आने वाले तीर्थयात्री एक पीपल के पेड़ के निचे स्थित एक विशाल  शिव लिंग की पूजा करके भगवान शिव को श्रधांजलि अर्पित करते हैं | इस घाट की आरती का आकर्षक नजारा वाराणसी शहर को देश की सबसे खुबसूरत जगह बनता हैं|

तुलसी मानसा मंदिर --- यह मंदिर वाराणसी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक हैं | इस मंदिर का निर्माण 1964 में किया गया था जो भगवान राम को समर्पित हैं | इस मंदिर का नाम संत कवी तुलसीदास के नाम पर रखा गया है | मंदिर में सावन के महीनो (जुलाई – अगस्त) में कठपुतलियो का एक विशेष प्रदर्शन होता हैं जो रामायण से सम्बंधित हैं | अगर आप एक मजेदार अनुभव का आनद लेना चाहते हैं तो सावन के महीनो में यहा की यात्रा करे |

काशी विश्वनाथ मंदिर --- काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक हैं जो भगवान शिव को समर्पित हैं | वाराणसी के सबसे खास मंदिरों में से एक होने की वजह से इस मंदिर में रोजाना लगभग 3000 भक्त आते हैं लेकिन विशेष मौको पर यह बढ़कर 100000 तक पहुँच जाते हैं | कशी विश्वनाथ मंदिर इस वजह से भी प्रसिद हैं क्यूंकि यह हिन्दुओ के कई ग्रंथो में उल्लेख करता हैं |

मणिकर्णिका घाट --- वाराणसी में स्थित मणिकर्णिका घाट को अंतिम संस्कार के लिए शुभ स्थान माना जाता हैं | मणिकर्णिका घाट का नाम वाराणसी के प्रमुख स्थानों में शामिल हैं | इस घाट को जीवन के प्रवेश द्वार के रूप में माना जाता हैं | इस घाट को देखने जाना अपने आप में एक बहुत ही सुन्दर और चौकाने वाला अनुभव हैं |

चुनार का किला --- चुनार का किला उत्तरप्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में स्थित हैं जो वाराणसी शहर से लगभग 23 किमी की दुरी पर दक्षिण पक्षिम में स्थित हैं | चुनार किले का सबसे पहला इतिहास 16वी शताब्दी का हैं , जिसका मुग़ल बादशाह बाबर की चौकी से पता चलता हैं | उनके सैनिको की कब्रे आज भी इस जगह मौजूद हैं | बताया जाता हैं की यह किला दिव्य रूप से धन्य हैं | अगर आप वाराणसी की यात्रा करते हैं तो आप बहुत ही कम समय में इस किले को देखने के लिए जा सकते हैं |

 

 4 वृन्दावन --- कृष्ण भक्तो के लिए वृन्दावन का अपना ही एक अलग महत्व हैं | उत्तर प्रदेश राज्य के इस पवित्र शहर में भक्त दूर-दूर से बांके विहारी जी के दर्शन करने के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं | मथुरा शहर में स्थित वृन्दावन नगर श्री कृष्ण भगवान के बाल लीलाओ का स्थान माना जाता हैं | यहा पर आपको श्री कृष्ण और राधा रानी के कई और मशहूर मंदिर देखने को मिल जायेंगे |

पर्यटन स्थल ----- प्रेम मंदिर , इस्कॉन मंदिर , बांके बिहारी मंदिर , केसी घाट , कुसुम सरोवर |

प्रेम मंदिर --- प्रेम मंदिर का निर्माण में 11 साल का समय और लगभग 100 करोड़ रुपय की धनराशी लगी हैं | मंदिर परिसर के भीतर राधा कृष्ण गोपियों और ब्रज वासियों के अनेको लीलाओ को जीवंत लगने वाली मूर्तियों के रूप में प्रदर्शित किया गया हैं | यह हर साल लाखो करोड़ो श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं |

इस्कॉन मंदिर ---- यह मंदिर केवल वृन्दावन में ही  नही बल्कि दुनियाभर में बहुत मशहूर हैं यहा पर हरे राम हरे कृष्ण का जाप करते हुए मंदिर के अन्दर विदेशी श्रद्धालु भी मिलेंगे जो की पुरे मन से भक्ति उल्लास से साधना करते हैं यहा तक की कई विदेशी श्रद्धालु यहा आकर बस चुके हैं | मंदिर के गर्भ गृह में आपको भगवान श्री कृष्ण राधा रानी और बलराम का भव्य दरबार दीखेगा जिसमे बड़ी खुबसूरत प्रतिमाए रखी गई हैं संध्या कल में विदेशी सैलानियों की यहा भक्ति देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटकों की भीड़ लगती हैं |

श्री बाँके बिहारी मंदिर --- ब्रज धाम के 7 सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक श्री बांके बिहारी वृन्दावन का प्रसिद मंदिर हैं यहा भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप में दर्शन होते हैं इसलिए बरसो से चली आ रही परम्परा के अनुसार श्री कृष्ण के देख रेख एक बच्चे की तरह की जाती हैं जिसके कारण मंदिर का पर्दा हर 5 मिनट में बंद किया जाता हैं इसके पीछे की मान्यता हैं यदि कोई भी भी भक्त सच्चे दिल से उनसे नजर मिला लेता हैं तो उसी के साथ चले जाते हैं |

केशी घाट ---- भगवान श्री कृष्ण के जीवन काल की अगर कोई भी चीज बच्ची हुई हैं तो वह हैं वृन्दावन के धरती यह के यमुना नदी , गोवर्धन पर्वत , निधिवन इसी निधिवन के पास में पड़ता हैं केशी घाट जो वृन्दावन तीर्थ यात्रियों के बिच बहुत लोकप्रिय स्थान हैं तथा इसी स्थान पर हर 12 वर्ष में महाकुम्भ का आयोजन किया जाता हैं | यमुना के इस घाट में डुबकी लगाने के लिए साल भर लाखो श्रद्धालु आते हैं और शाम के समय यमुना की भव्य आरती में शामिल होते हैं |

कुसुम सरोवर ---- यह सरोवर गोवर्धन से लगभग 2 किलोमीटर दूर राधाकुंड के निकट स्थापत्य कला के नमूने का एक समूह जवाहर सिंह द्वारा अपने पिता सूरजमल की स्मृति में बनवाया गया | 1675 ई. से पहले यह कच्चा कुंड था जिसे ओरछा के रजा वीर सिंह ने पक्का कराया उसके बाद राजा सूरजमल ने इसे अपनी रानी किसोरी के लिए बाग़ – बगीचे का रूप दिया और इसे अधिक सुन्दर और मनोरम स्थल बना दिया |    
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