मेघालय में घूमने की 10 सबसे बेहतरीन जगह( 10 Best Places To Visit In Meghalaya)

Aditya
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मेघालय (Meghalaya)

पूर्वोत्तर भारत स्थित मेघालय देश का खूबसूरत शहर है, जो अपने कुदरती खजाने के लिए विश्व भर में जाना जाता है। देश-विदेश के सैलानी यहां सुकून भरा समय और रोमांच की तलाश में आते हैं। मेघालय प्राकृतिक संपदा से समृद्ध राज्य है, जहां आप जैव विविधता का आदर्श रूप देख सकते हैं। नदी, झरने, पहाड़ी, गहरी घाटियां और घने जंगलों में इस राज्य की जान बसती है। मेघालय का शाब्दिक अर्थ है 'बादलों का घर'। यहां मौजूद ऊंची-ऊंची पहाड़ियां बादलों को नजदीक से देखने का अवसर प्रदान करती हैं।

 


शिलांग (Shillong)

 

शिलांग में पूरी दुनिया का सबसे ऊंचा वॉटरफॉल पाया जाता और यहाँ घूमने के लिए देश विदेश के लोग आते है। ख़ूबसूरत खासी पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है यह स्थान भारत के प्रसिद्ध ब्लूस मैन, लाउ मैजॉ, (सिंगर और गिटारिस्ट) का भी घर है।

शिलांग में अनेक दर्शनीय स्थल है जैसे कि एलिफेंटा फॉल, शिलांग व्यू पॉइंट, लेडी हैदरी पार्क, वार्ड्स लेक, गोल्फ फोर्स, इत्यादि।

शिलांग आकार में बढ़ता चला गया, क्योंकि 1864 में इसे खासी एवं जयन्तिया हिल्स क्षेत्र का सिविल स्टेशन बनाया या था। 1874 में असम के मुख्या आयुक्त प्रान्त (चीफ़ कमिश्नर्स प्रोविन्स) गठन किये जाने पर इसे नये प्रशासन का मुख्यालय घोषित किया गया। ऐसा इस स्थान की ब्रह्मपुत्र एवं सूरमा नदियों के बीच उपयुक्त स्थिति को देखते हुए तथा भारत के गर्म उष्णकटिबन्धीय जलवायु से अपेक्षाकृत शिलांग के ठण्डे मौसम को देखते हुए किया गया था। शिलांग 21 जनवरी 1972 को नवीन मेघालय राज्य के गठन होने तक अविभाजित असम की राजधानी बना रहा और इसके बाद असम की राजधानी को गुवाहाटी में दिसपुर स्थानांतरित कर दिया गया।

 

शिलांग घूमने का सबसे अच्छा समय सितंबर से मई के बीच है क्योंकि इन महीनों में मौसम सुहाना रहता है। यहाँ कभी-कभी बारिश होती है, लेकिन यह मानसून के मौसम यानी जून से अगस्त के बीच की तुलना में अपेक्षाकृत कम होती है। इस मौसम में, इस क्षेत्र में भारी बारिश होती है, और पर्यटक आकर्षणों को देखना कठिन और असुविधाजनक हो सकता है। मानसून में सुंदरता अपने चरम पर होती है क्योंकि यह इलाका हरियाली, झीलों, तालाबों और झरनों के साथ एक सुंदर स्वर्ग में बदल जाता है। इसलिए, यह कुछ लोगों के लिए ऑफ-सीजन में घूमने लायक जगह हो सकती है।

 

 

चेरापूंजी (Cherrapunji)

 

चेरापूंजी का स्थानीय और आधिकारिक नाम सोहरा है जो शिलांग से 60 किलो मीटर की दूरी पर है। यह खासी पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक छोटा सा कब्सा है। चेरापूंजी 12 महीने ही घनी बारिश के कारण विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।

 

चेरापूंजी के कुछ महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं माकडॉक-डिमपेप घाटी का दृश्य जो शिलांग और चेरापूंजी के बीच स्थित है, सोहरा बाजार और रामकृष्ण का मंदिर, संग्रहालय, नोखालीखाई जल प्राप्त, प्रथम प्री साइबेरियन चर्च, वेल्श मिशनरियों की दरगाहें, एंगलिकन सिमेट्री, इको पार्क डबल डेकर रूट ब्रिज, चेरापूंजी मौसम विज्ञान वेधशाला

 

चेरापूंजी घूमने के लिए सर्दी का मौसम अच्छा रहता है। हालांकि, इस दौरान तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है, इसलिए चेरापूंजी के सभी प्रमुख आकर्षणों को देखने के लिए यह एक आदर्श समय है। प्रसिद्ध डबल-डेकर रूट ब्रिज को देखने से लेकर चौथे सबसे बड़े झरने का लुत्फ़ उठाने तक, आप बहुत सी ऐसी चीज़ें कर सकते हैं जो रोमांचकारी और दुनिया से हटकर हैं।

 

 

मौलिन्नोंग गाँव (Mawlynnong Village)

 

मौलिन्नोंग गाँव अपनी स्वच्छता के लिए जान जाता है। यहां जो भी बेकार सामान या कचरा होता है उसे बाँस से बने कचरा पात्रों में डाला जाता है और इसको एक गड्ढे में पानी डाल कर उसकी खाद तैयार की जाती है। ट्रैवल पत्रिका डिस्कवर इंडिया ने वर्ष 2003 में इस गाँव को एशिया में और वर्ष 2005 में भारत का सबसे स्वच्छ ग्राम घोषित किया गया। वर्तमान में इस गाँव पर मोयसुनेप किचू का वृत्तचित्र बन रहा है जिसका नाम एशियाज क्लिनेस्ट विलेज है।

 

पढ़े लिखे लोगों से परिपूर्ण यह गांव कई सारी खासियत के लिए सुर्खियां बटोरती रहती है। यहां पेड़ के जड़ों से बना विश्व का अजूबा पुल है। बैलेंसिंग रॉक्स, अनेकों दिलचस्प झरना, साफ नदी और आसपास घास का मखमल सा मैदान मानो भगवान का वरदान हो। इस गांव की चमक में स्वर्ग सा महसूस होता है।

मौलिन्नोंग गांव में पूरे साल ठंड और सुहाना मौसम रहता है। हालांकि, जून से नवंबर तक का समय मौलिन्नोंग घूमने के लिए सबसे अच्छा है। साल के इस मौसम में फूल खिलते हैं और वातावरण काफी जीवंत हो जाता है। सितंबर से दिसंबर भी  मौलिन्नोंग घूमने का एक सबसे अच्छा मौसम है जब वह प्रसिद्ध नोग्क्रेम नृत्य महोत्सव और वांगला महोत्सव होता है। मार्च से जून तक का गर्मी का मौसम न तो बहुत गर्म होता है और न ही बहुत ठंडा और मौलिन्नोंग घूमने के लिए बहुत ही सुखद समय होता है।

 

 

डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज (Double Decker Living Root Bridge)

 

डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज” और जीवित जड़ सेतु के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो यह क्षेत्र रबड़ ट्री से बने रूट पुलों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन डबल डेकर ब्रिज इन सभी में सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।

 

आपको बता दें कि यह ब्रिज लगभग 50 मीटर लंबा है और 1.5 मीटर चौड़ा है। डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज के नीचे उमशियांग नदी बहती है और यह प्रकृति और इंजीनियरिंग एक अदभुद उदाहरण है। अगर आप डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को अवश्य पढ़े जिसमे हम आपको इस आकर्षक पुल के बारे में पूरी जानकारी दे रहें हैं।

 

जैसा कि आप लोग देख चुकें हैं कि इसका पुल का नाम डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज है क्योंकि यह एक डबल डेकर पुल है। जिसका मतलब है कि पुल में 2 डेक या परतें हैं, जो जड़ों के उलझाव के कारण बनाई गई हैं। अगर कोई भी शरीरिक रूप से फिट नहीं है तो उसका इस ब्रिज पर चढ़ना बेहद मुश्किल हो सकता।

 

इस ब्रिज तक जाने के लिए पर्यटकों को पहाड़ी से 3500-3600 सीढ़ी नीचे उतरना है जिसमें 3-4 घंटे का समय लग सकता है।

 

मेघालय के चेरापूंजी (जिसे सोहरा के नाम से भी जाना जाता है) में डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज देखने का आदर्श समय शुष्क महीनों के दौरान होता है , जो आमतौर पर नवंबर से मई तक होता है। इस अवधि के दौरान, रूट ब्रिज तक ट्रेकिंग के लिए मौसम की स्थिति सबसे अनुकूल होती है, क्योंकि बारिश के मौसम में रास्ता काफी फिसलन भरा हो सकता है। चेरापूंजी को पृथ्वी पर सबसे अधिक नमी वाले स्थानों में से एक माना जाता है, इसलिए शुष्क महीनों के दौरान यात्रा करने का मतलब है कम भारी बारिश, कम कोहरा और साफ आसमान का सामना करना, जिससे समग्र अनुभव और आसपास के हरे-भरे परिदृश्य के शानदार दृश्य बढ़ जाते हैं।

 

 

लैटलम कैन्यन (Laitlum Canyon)

 

लैटलम कैन्यन एक मनमोहक प्राकृतिक आश्चर्य मौजूद है। यह शिलांग से लगभग 45 किलो मीटर की दुरी पे है। लैटलम कैन्यन नाटकीय परिदृश्य और आश्चर्यजनक दृश्यों के लिए जाना जाता है, और कोई भी इस सुंदरता को देखकर आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सकता।

 

लैटलम कैन्यन, जिसे "पहाड़ियों का अंत या दुनिया का अंत" भी कहा जाता है, अपने नाम के अनुरूप अपनी विस्मयकारी सुंदरता के साथ स्कॉटिश ग्रामीण इलाकों की याद दिलाता है। लैटलम कैन्यन की पहाड़ियों को अक्सर मेघालय का एम्फीथिएटर कहा जाता है क्योंकि इसमें भूरे-हरे से लेकर लाल रंग तक के कई शानदार रंग हैं, जो सूर्योदय और सूर्यास्त के समय विशेष रूप से मनमोहक होते हैं, जो इसे कलाकारों और फोटोग्राफरों के लिए एक स्वर्ग बनाते हैं।

 

इस विशाल घाटी के स्थान को देखते हुए, यह सब समझ में आता है कि कम से कम इतना तो कहा ही जा सकता है कि यह घाटी अनोखी है। पूर्वी खासी पहाड़ियों के ऊपर स्थित लैटलम घाटियाँ गहरी घाटियों, खड़ी चट्टानों और लुढ़कती पहाड़ियों तक फैले मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती हैं, जो इसे दिन भर की यात्राओं के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बनाती हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो प्रकृति, थोड़ी-बहुत ट्रैकिंग और बहुत सारी लैंडस्केप फोटोग्राफी में रुचि रखते हैं।

 

आप इस गांव के नज़ारे का आनंद ऊपर से भी ले सकते हैं, जो घाटी की हरी-भरी घाटी में बसा हुआ है। घाटी के भीतर स्मित गांव भी है, जो खासी उप-जनजाति हिमा खैरिम के प्रभाव में है। राजा के 100 साल पुराने घर का घर, शरद ऋतु के दौरान जीवंत नोंग्रेम नृत्य की मेजबानी करता है, जो क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है।

 

लुभावने लैटलम कैन्यन को देखने के लिए आदर्श समय अक्टूबर से मई तक मानसून के बाद के महीनों के दौरान होता है । इस अवधि के दौरान, मौसम सबसे अनुकूल होता है क्योंकि आसमान साफ ​​रहता है और घाटी के मनोरम दृश्य मानसून के मौसम में होने वाली धुंध से अप्रभावित रहते हैं। मानसून के बाद का मौसम भी पिछले महीनों की पर्याप्त वर्षा के बाद हरे-भरे परिदृश्य को सबसे जीवंत अवस्था में दिखाता है। पर्यटक 12°C से 20°C तक के आरामदायक तापमान का आनंद ले सकते हैं जो बारिश या गर्मियों के चरम पर देखी जाने वाली अत्यधिक गर्मी और आर्द्रता की बाधा के बिना ट्रैकिंग, दर्शनीय स्थलों की यात्रा और बाहरी गतिविधियों का अनुभव करने के लिए एकदम सही है।

 

 

एलीफेंट फॉल्स (Elephant Falls)

 

एलीफेंट फॉल्स पूर्वी खासी हिल्स जिले के ऊपरी शिलांग में शिलांग के मुख्य शहर के बाहरी इलाके में स्थित है । यह शिलांग शहर के केंद्र से लगभग 12 किमी दूर है। एलीफेंट फॉल्स के गेट पर साइनबोर्ड शिलांग पीक के पास एक छोटा सा साइनबोर्ड लगा है, जो पहाड़ के किनारे की ओर मुड़ने वाली एक छोटी सी सड़क को दर्शाता है। यह सड़क झरने की ओर जाती है।

 

गेट से झरने के प्रत्येक स्तर पर जाने के लिए खड़ी, फिसलन भरी सीढ़ियां हैं, जिनमें से पहले और दूसरे स्तर पर आराम करने के लिए बेंचों की सुविधा है। झरने को देखने के लिए 20 रुपये का टिकट लेना आवश्यक है, साथ ही कैमरा लाने की अनुमति के लिए 20 रुपये का अतिरिक्त शुल्क देना होगा।

 

यह झरना एक पहाड़ी जलधारा का परिणाम है जो कई स्तरों पर गिरती है, जो जंगल की ढलान से होकर गुज़रती है। रेलिंग वाले रास्ते झरने के शीर्ष से शुरू होते हैं और नीचे तक चलते हैं, जिससे आप न केवल झरने की भव्यता को नज़दीक से देख सकते हैं, बल्कि ठंडे पानी की फुहारों और प्रवाह की गड़गड़ाहट की आवाज़ को भी महसूस कर सकते हैं। झरने के तल पर स्थित पूल एक शांत जगह है जहाँ आप घुटनों के स्तर पर साफ़ पानी में उतर सकते हैं और पृष्ठभूमि में विशाल झरने के साथ एक अच्छी तस्वीर ले सकते हैं।

 

एलीफेंट फॉल्स का खासी नाम क्षैद-लाई-पटेंग है, जो मोटे तौर पर उन तीन स्तरों को संदर्भित करता है, जिन पर पानी गिरता है। आज यह नाम भ्रामक है - हाथी के आकार की चट्टान जिसके नाम पर अंग्रेजों ने इसका नाम रखा था, सौ साल से भी ज़्यादा पहले आए भूकंप में नष्ट हो गई थी। एलीफेंट फॉल्स के प्रवेश द्वार पर, स्नैक्स और स्मृति चिन्ह बेचने वाले स्टॉल का एक संग्रह है।

 

हाथी झरने को पूरे साल देखा जा सकता है। हालांकि सर्दियों के दौरान पानी का स्तर थोड़ा कम हो जाता है, फिर भी यह झरने के आकर्षण को कम नहीं करता है। मानसून के ठीक बाद के महीने सबसे अच्छे होते हैं क्योंकि पानी पूरी ताकत से बहता है और बनाया गया दृश्य लंबे समय तक याद रखने योग्य होता है।

 

 

नोहशंगथियांग फॉल्स (Nohsngithiang Falls)

 

नोहशंगथियांग फॉल्स चेरापूंजी से लगभग 4 किमी दूर स्थित एक आकर्षक झरना है जिसका नाम भारत के सबसे ऊंचे झरनों की लिस्ट में शामिल है। नोहशंगथियांग फॉल्स चेरापूंजी में एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसे देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटक यहां की यात्रा करते हैं। नोहशंगथियांग फॉल् मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के मावसई गाँव में स्थित है, जिसकी वजह से इसे मावसई जलप्रपात भी कहा जाता है। आपको बता दें कि नोहशंगथियांग फॉल्स का पानी लगभग 1033 फीट की ऊंचाई से गिरता है, जो सात अलग-अलग भागों विभाजित होता है। इसलिए इस झरने को सेवन सिस्टर फॉल्स भी कहा जाता है। आपको बता दें कि इस वाटरफॉल का दृश्य मौसमी है जोर केवल बरसात के मौसम में चूना पत्थर से ढकी पहाड़ियों के ऊपर देख जा सकता है।

 

बता दें कि नोहशंगथियांग फॉल्स या सेवन सिस्टर फॉल्स उत्तर पूर्वी भारत के सात बहन राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय का प्रतीक हैं। इस मंत्रमुग्ध करने वाले झरने में आप जा नहीं सकते लेकिन मवस्माई गांव के आसपास से इसके शानदार दृश्य को देख सकते हैं। सेवन सिस्टर फॉल्स सूर्यास्त के दौरान बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। इसके अलावा सूर्य उदय के दौरान यहां पर एक बारहमासी इंद्रधनुष बनता है जो यहां का प्रमुख आकर्षण है।

 

अगर आप सेवन सिस्टर फॉल्स देखने जाने की योजना बना रहें हैं तो बता दें कि यहां आने का सबसे अच्छा समय बरसात का मौसम है। इस जलप्रपात की गति बहुत धीमी है क्योंकि इसका पानी वर्षा के ऊपर निर्भर है। इसलिए हम आपको सलाह देना चाहते हैं कि अगर आप इस झरने की यात्रा करने के लिए मानसून के मौसम में जा सकते हैं। यह मौसम नोहशंगथियांग फॉल्स को देखने के लिए सबसे अच्छा समय है। सर्दियों और गर्मियों के मौसम में इस झरने का दौरा करना आपको निराश कर सकता है।

 


बालपक्रम राष्ट्रीय उद्यान (Balpakram National Park)

 

समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित बालपक्रम राष्ट्रीय उद्यान पूर्वोत्तर भारत के मेघालय राज्य का एक अद्भुत नेशनल पार्क है। यह राष्ट्रीय उद्यान राज्य की गारो हिल्स के पास स्थित है। यहां की चट्टानी पहाड़ियों को देखते हुए इसकी तुलना एरिजोना के ग्रैंड कैनियन से की जाती है। यह पहाड़ी वन क्षेत्र 220 वर्ग कि.मी के क्षेत्र में फैला है। आप यहां जैव विविधता का आदर्श रूप यहां देख सकते हैं। बालपक्रम राष्ट्रीय उद्यान विभिन्न वनस्पती, जंगली जीवों और पक्षियों की प्रजातियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है। जंगली जानवरो में आप यहां बाघ, हाथी, गोल्डन कैट, पानी वाली जंगली भैंस, रेल पांडा, भौकने वाली हिरण आदि को देख सकते हैं। इसके अलाावा आप यहां पक्षी विहार का आनंद भी ले सकते हैं। यहां स्थानीय के साथ-साथ प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियां निवास करती हैं। उद्यान के अंदर मौजूद नदी और झील इन पक्षियों को निवास स्थान हैं। आप यहां लोकप्रिय पिच्चर प्लांट भी देख सकते हैं, जिसे मांसाहारी पौधा कहा जाता है।

 

पहाड़ी घाटियों से घिरा यह एक अद्भुत राष्ट्रीय उद्यान है। मॉनसून के मौसम को छोड़कर आप यहां किसी भी समय आ सकते हैं। मॉनसून के दौरान मेघालय अत्यधिक वर्षा ग्रहण करता है, इसलिए इस दौरान इस पहाड़ी उद्यान का सफर न करें। आप यहां अक्टूबर से लेकर जून के बीच का प्लान बना सकते हैं। इस दौरान यहां का मौसम काफी अनुकूल बना रहता है।

 

 

 

किनरेम फॉल्स (KYNREM FALLS)

 

मेघालय की हरी-भरी हरियाली के बीच बसा, किनरेम फॉल्स राज्य के सबसे शानदार झरने और भारत के 7वें सबसे ऊंचे झरने के रूप में सर्वोच्च स्थान रखता है। झरने का पानी कई स्तरों पर गिरता है, जिससे किनरेम फॉल्स एक मनमोहक नज़ारा बन जाता है जो आगंतुकों को अचंभित कर देता है। इस ब्लॉग में, आइए जानें कि झरने तक कैसे पहुँचें, यहाँ आने का सबसे अच्छा समय और इस शानदार झरने को देखने का सबसे अच्छा नज़ारा कौन सा है।

 

किनरेम झरना चेरापूंजी से लगभग 17 किमी दूर है, जो दुनिया में सबसे ज़्यादा वार्षिक वर्षा का रिकॉर्ड रखने के लिए प्रसिद्ध शहर है।

 

किनरेम फॉल्स में तीन-स्तरीय संरचना है जिसकी कुल ऊंचाई लगभग 1,001 फीट (305 मीटर) है। मानसून के मौसम में, झरने एक गर्जन वाले झरने में बदल जाते हैं जो बहुत अधिक बल के साथ नीचे गिरते हैं। झरने के पानी का विशाल आकार और शक्ति प्रकृति की प्राकृतिक सुंदरता का एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला प्रदर्शन बनाती है।

 

वैसे तो किनरेम फॉल्स पूरे साल अपनी खूबसूरती बरकरार रखता है, लेकिन मानसून का मौसम (जुलाई से सितंबर) निस्संदेह इसकी असली भव्यता को देखने का सबसे अच्छा समय होता है। इस अवधि के दौरान, मानसून की बारिश के बल पर झरने जीवंत हो उठते हैं, और झरनों के एक शानदार झरने में बदल जाते हैं। मानसून के मौसम में पानी का प्रवाह बढ़ने से मुख्य झरने के किनारे कई अस्थायी धाराएँ भी बन जाती हैं, जो समग्र दृश्य तमाशा को और बढ़ा देती हैं। यह जानना ज़रूरी है कि भारी बारिश कभी-कभी यात्रा योजनाओं और बाहरी गतिविधियों को बाधित कर सकती है।

 


मौसिनराम (Mawsynram)

 

मौसिनराम भारत के मेघालय राज्य के पूर्व खासी हिल्स ज़िले में स्थित एक बस्ती है। यह राज्य राजधानी, शिलांग, से लगभग 60.9 किमी दूर स्थित है। यह भारत का सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है, और सम्भवतः विश्व का भी। यहाँ वार्षिक रूप से 11,872 मिलिमीटर वर्षा होती है और गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में यहाँ सन् 1985 में 26,000 मिलिमीटर वर्षा गिरी थी। मेघालय राज्य राजमार्ग 4 यहाँ से गुज़रता है।

 

शिलांग से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गाँव अपनी 11,872 मिलीमीटर (467.4 इंच) वार्षिक वर्षा के साथ पृथ्वी पर स्थित सबसे नम स्थान है, लेकिन इस दावे को कोलम्बिया स्थित दो स्थान लॉरो जिसका औसत वार्षिक वर्षण 1952 और 1989 के बीच 12,717 मिलीमीटर (500.7 इंच)[4][5] और लोपेज़ डेल मिकाए जिसका औसत वार्षिक वर्षण 1960 और 2012 के बीच 12,717 मिलीमीटर (500.7 इंच) था, विवादित बनाते हैं।.[6][बेहतर स्रोत वांछित] विश्व कीर्तिमानों की गिनीज पुस्तक ("गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स") के अनुसार 1985 में मौसिनराम में 26,000 मिलीमीटर (1,000 इंच) वर्षा हुई थी।

 

मौसिनराम के निकट ही मावजिम्बुइन की प्राकृतिक गुफाएँ हैं जो अपने स्टैलैगमाइट के लिये प्रसिद्ध हैं। स्टैलैग्माइट गुफा की छत के टपकाव से फर्श पर जमा हुआ चूने का स्तंभ होता है।

 

मावसिनराम घूमने का सबसे अच्छा समय सितंबर और नवंबर के महीनों के बीच है। इन दो महीनों में बारिश सबसे कम होती है और मौसम बिल्कुल सुहावना होता है। हालाँकि, अगर आप बारिश का मज़ा लेना चाहते हैं और प्रकृति की क्रूर शक्ति को देखना चाहते हैं, तो बारिश का मौसम मावसिनराम घूमने का सबसे अच्छा समय है।

 

  

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