झारखंड (Jharkhand)
पर्यटन के मामले धनी देश है। हालांकि लोगों को देश के कई पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी ही नहीं है। जब छुट्टी या वीकेंड पर लोग अपने दोस्तों, परिवार, पार्टनर या बच्चों के साथ किसी ट्रिप पर जाने का प्लान बनाते हैं तो अधिकतर हिमाचल प्रदेश या उत्तराखंड की वादियों में जाना चाहते हैं या फिर गोवा, केरल, तमिलनाडु जैसे राज्यों में समुद्र तट घूमने की इच्छा रखते हैं। लेकिन उत्तर व दक्षिण राज्यों के अलावा भी देश के हर राज्य में आपको अच्छे और सुंदर पर्यटन स्थल मिल जाएंगे। इन राज्यों में पर्यटकों को प्राकृतिक सुंदरता देखने के साथ ही ऐतिहासिक जगहें, धार्मिक स्थल देखने को मिल सकते हैं। यहां आपको झारखंड के पर्यटन स्थलों के बारे में बताया जा रहा है। झारखंड की प्राकृतिकता उसके घने जंगलों, झीलों में नजर आती है। इस बार अगर आप घूमने के लिए किसी जगह की तलाश में हैं तो झारखंड जाएं। ये रहे झारखंड के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल।
1) रांची (Ranchi)
रांची, झारखंड की राजधानी रांची और बुंदू उपखंडों में विभाजित है और प्रत्येक उपखंड को आगे ब्लॉक, पंचायत और गांवों में विभाजित किया गया है। इसमें 18 ब्लॉक और 305 पंचायत शामिल हैं। रांची उपखंड के तहत, 14 ब्लॉक हैं और बुंडू उपखंड में 4 ब्लॉक हैं।
रांची, अपने आधुनिक रूप में, भारतीय राज्य झारखंड की राजधानी है। ज्यादातर भारतीय जानते हैं कि पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी एमएस धोनी के गृहनगर है | शहर में एक मध्यम जलवायु होती है और अविभाजित बिहार के समय से गर्मियों की राजधानी है। इसे “जलप्रपातों का शहर” के रूप में जाना जाता है।
रांची, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों के छात्रों के लिए भी एक लोकप्रिय शैक्षणिक गंतव्य है। कई छात्र यहां अपने वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा के लिए आते हैं, और इसमें कुछ प्रतिष्ठित संस्थान भी हैं जैसे कि बीआईटी मेसरा, आईआईएम, एनआईएफएफटी, एनयूएसआरएल, सीआईपी, आरआईएमएस आदि। इसमें एचईसी, सीसीएल और सेल जैसी कुछ महत्वपूर्ण सरकारी संगठनों के प्रमुख कार्यालय हैं। । यह गुणवत्ता के खेल के बुनियादी ढांचे के लिए भी जाना जाता है क्योंकि विभिन्न प्रकार के खेल के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम हैं।
यदि आप एक प्रकृति के शौकीन हैं, तो शहर पर्यटन स्थलों के साथ भरी हुई है। शहर से 70-100 किमी की दूरी के भीतर कई झरने, पहाड़ियों और जंगलों हैं।
2) जुबली पार्क (Jubilee Park)
जुबली पार्क जमशेदपुर शहर की शान है और यहाँ का प्रमुख पर्यटन स्थल भी हैI इस शहर का नाम 1919 में जमशेदजी टाटा के नाम पर रखा गया थाI जमशेदपुर शहर को टाटानगर के नाम से भी जाना जाता हैI इस पार्क की स्थापना सन 1958 में की गई थीI इस पार्क के बीचों-बीच पानी के फव्वारे लगाए गए हैं और इस पार्क के अन्दर ही एक चिड़ियाघर भी स्थित हैI पर्यटक यहाँ अपने परिवार व दोस्तों के साथ आना काफी ज्यादा पसंद करते हैंI
3) देवघर (Deoghar)
झारखंड में स्थित देवघर देवालय के लिए खास माना जाता है। बैद्यनाथ धाम, बाबा धाम और कई अन्य नामों से जाना जाने वाला झारखंड जिला का शहर देवघर पवित्र हिंदू तीर्थो में से एक है। इसे देवगढ़ भी कहा जाता है। बाबा बैधनाथ धाम- आप देवघर आएंगे तो बैद्यनाथ यात्रा से ही जान जाएंगे कि भारतीय हिंदू के लिए आध्यात्मिकता क्या अर्थ रखती है। यहां झारखंड में स्थित देवघर देवालय के लिए खास माना जाता है। बैद्यनाथ धाम, बाबा धाम और कई अन्य नामों से जाना जाने वाला झारखंड जिला का शहर देवघर पवित्र हिंदू तीर्थो में से एक है। इसे देवगढ़ भी कहा जाता है।
बाबा बैधनाथ धाम- आप देवघर आएंगे तो बैद्यनाथ यात्रा से ही जान जाएंगे कि भारतीय हिंदू के
लिए आध्यात्मिकता क्या अर्थ रखती है। यहां तीर्थयात्रियों का तांता लगा रहता है।
यह शहर हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ-स्थल है। यहां भगवान शिव का एक अत्यंत प्राचीन
मंदिर स्थित है।
हर सावन में यहां लाखों
शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है जो देश के विभिन्न हिस्सों सहित विदेशों से भी यहां
आते हैं। इन भक्तों को कावरियां कहा जाता है। ये शिव भक्त बिहार में सुल्तानगंज से
गंगा नदी से गंगाजल लेकर 105 किलोमीटर
की दूरी पैदल तय कर देवघर में भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं। देवघर शांति और
भाईचारे का प्रतीक है। यह एक प्रसिद्ध हेल्थ रिजॉर्ट है, लेकिन
इसकी पहचान हिंदु तीर्थस्थान के रूप में की जाती है। यहां बाबा बैद्यनाथ का
ऐतिहासिक मंदिर है जो भारत के बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है। देवघर सती के 52
शक्तिपीठों में से भी एक है।
पुराणों में देवघर को हृदय पीठ और चिता भूमि भी कहा गया है क्योंकि इसी स्थान पर माता पार्वती का हृदय गिरा था और और यहीं भगवन शिव ने उनका अंतिम संस्कार किया था।
4) पारसनाथ पहाड़ी (Parasnath Hills)
पारसनाथ पहाड़ी झारखण्ड राज्य के बोकारो शहर में स्थित है। बोकारो में कई पर्यटन स्थल हैं, जिनमें से पारसनाथ पहाड़ी भी एक है। झारखंड राज्य की यह सबसे ऊँची पहाड़ी है। गिरिडीह स्थित इस पहाड़ी की ऊँचाई लगभग 4,440 फीट है। ये पूरी पहाड़ी जंगल से घिरी हुई है।
पारसनाथ पहाड़ी की प्राकृतिक छटा बहुत ही अद्भुत है। इस पहाड़ पर जैन धर्म का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है। दामोदर नदी और गरगा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित बोकारो प्राकृतिक रूप से बहुत ख़ूबसूरत है। प्रकृति ने इसे अपनी अनमोल देन नदियों और पहाड़ियों से सजाया है। पहाड़ के शिखर पर जैन धर्म के 20 तीर्थंकरों के चरण चिह्न अंकित हैं। इस पहाड़ी को सम्मेद शिखर कहा जाता है। तीर्थंकरों के चरण चिह्नों को 'टोंक' कहा जाता है। कहा जाता है कि यहाँ जैनियों के 20वें से 24वें तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया था। यहाँ जैनियों के श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों ही पन्थों के मन्दिर बने हुए हैं। यह स्थान मधुबन के नाम से भी विख्यात है। इसका निर्माण आर्कियन युग की चट्टानों से हुआ है। पारसनाथ के पठार में विभिन्न प्रकार खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। यहाँ पाए जाने वाले खनिजों में लोहा, मैंगनीज तथा डोलोमाइट प्रमुख है।
5) दशम जलप्रपात (Dassam Falls)
छोटानागपुर को झरनों और चट्टानी नदियों का क्षेत्र कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। आबादी बढने के साथ ही वनों में वृक्षों की सघनता भले कम हो गई हो मगर रैयती जमीन पर अब भी हरियाली बरकरार है। इन्हीं प्राकृतिक छटाओं के बीच यह जलप्रपात रांची से करीब 34 किलो मीटर दूर दक्षिण पूर्व में कांची नदी पर स्थित है। यह जलप्रपात करीब 144 फीट की उंचाई से गिरता है। इसमें दस धाराएं हुआ करती थीं। इसलिए इसका नाम दशम पड़ा। दशम फॉल रांची-टाटा मार्ग पर तैमारा गांव के पास है। यह झरना खूबसूरत प्राकृतिक नजारों से घिरा हुआ है।
मुण्डारी में पानी को 'दाअ' और स्वच्छ को 'सोअ' कहते हैं। झरने से गिरता हुआ उज्जवल पानी बडा स्वच्छ दिखता है। स्वच्छ पानी का झरना 'दाअसोअ' से 'दासोम' और बाद में 'दशम ' हो गया। जाडे क़ा मौसम पर्यटन के लिए उपयुक्त होता है। इसलिए दशम जल प्रपात मं भी जाडे क़े दिनों में अधिक पर्यटक आते हैं। वैसे यहां रोज कुछ -न- कुछ लोग आते रहते हैं। रविवार या छुट्टियों के दिन पर्यटकों की संख्या अधिक होती है। फरवरी से अप्रैल के बीच का समय दशम फॉल घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसकी प्रसिद्धि दशम घाघ के रूप में भी है। यह झरना खूबसूरत प्राकृतिक नजारों से घिरा हुआ है। इसकी प्रसिद्धि दशम घाघ के रूप में भी है। धीरे-धीरे यहां पर्यटकों के आने की संख्या बढ़ रही है और उन्हें कई तरह की सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही है।
सावधानियाँ: यहां आने वाले पर्यटकों को सख्त हिदायत दी जाती है कि वह जलप्रपात की धारा में नहाएं नहीं, या नहाते वक्त खास सावधानी बरतें। दशम फॉल में पर्यटकों को विशेष सावधानी की सलाह दी जाती है क्योंकि जलप्रपात वेग से गिरता है वहाँ जाना खतरनाक हो सकता है। हां, फॉल के गिरने के बाद जब वह आगे बढता है तो इसमें स्नान का किया जा सकता है। लेकिन यहां स्नान में बहुत सावधानी की जरूरत है। पानी के वेग से चट्टानों के बीच अनेक खतरनाक गङ्ढे बन गये हैं, जो पानी से ढंके होने के कारण दिखते नहीं हैं और जहां फंसना जानलेवा साबित हो सकता है। दशम फॉल से निकला पानी आगे करीब 50-60 मीटर जाने के बाद समतल नदी का रूप ले लेता है। बीच-बीच में कहीं-कहीं चट्टानों का मिलना असंभव नहीं, क्योंकि पूरा छोटानागपुर ही चट्टान पर बसा है।
6) कांके बांध (Kanke Dam)
कांके डैम, प्रसिद्ध रॉक गार्डन के ठीक बगल में स्थित हैI यह जगह दोस्तों व कपल के घूमने के लिए एक अच्छी जगह हैI कांके डैम विशाल पहाड़ियों से घिरा हुआ है, यहाँ आप शांति से कुछ पल बिता सकते हैंI यहाँ आप बोटिंग का आनंद भी ले सकते हैंI शांत पानी में नाव की सवारी करते हुए डूबते हुए सूरज को देखने में यहाँ बहुत ही आनंद आता हैI
कांके डैम देखने के लिए आपको 20 रूपए का भुगतान करना पड़ता है और अगर आप यहाँ गाड़ी पार्क करते हैं तो आपको अलग से 50 रूपए का भुगतान करना पड़ता हैI यह जगह सुबह 6 बजे ही पर्यटकों के लिए खुल जाता हैI
7) रॉक गार्डन (Rock Garden)
रांची में रॉक गार्डन को शहर के साथ-साथ राज्य के सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक माना जाता है।
रांची में प्रसिद्ध रॉक गार्डन अल्बर्ट अक्का चौक से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जयपुर के बगीचे के बाद रांची रॉक गार्डन महत्व और प्रसिद्धि में दूसरा स्थान है। रांची में रॉक गार्डन गोंडा हिल के चट्टानों से बना था। राजधानी झारखंड में स्थित इस चट्टान बगीचे में दो किनारों के साथ लोहे की छड़ी से बना जुला है। मूर्तियों और झरने के विभिन्न रूप इस जगह की सुंदरता में जोड़ते हैं।
कंक बांध की झील रांची के रॉक गार्डन के नजदीक स्थित है। इस जगह का दौरा कई लोगों द्वारा किया जाता है जो अंतहीन क्षितिज और प्रकृति के सौम्य स्पर्श से इस बगीचे में आकर्षित होते हैं, जो यहां पाए जा सकते हैं। रॉक गार्डन को एक पिकनिक स्पॉट के रूप में भी प्रयोग किया जाता है, जहां लोगों के बड़े समूह एक साथ गुणवत्ता का समय बिता सकते हैं।
शहर के मध्य में अपने स्थान के कारण, रांची, रॉक गार्डन के लोग अक्सर पास के इलाके में स्थित अन्य पर्यटक स्थलों की यात्रा का भुगतान कर सकते हैं।
8) बेतला राष्ट्रीय उद्यान (Betla National Park)
बेतला राष्ट्रीय उद्यान भारत के झारखंड राज्य के लातेहार जिले के छोटा नागपुर पठार में स्थित एक राष्ट्रीय पार्क है। पार्क में वन्य जीवन की एक विस्तृत विविधता है। “बेतला” निम्न शब्दों का संक्षिप्त नाम है: बाइसन, हाथी, शेर, तेंदुआ, धुरी-अक्ष (चित्तल)।
नेतरहाट झारखंड के भारतीय राज्य के लातेहार जिले में एक शहर है। ” छोटानागपुर की रानी” के रूप में संदर्भित, यह एक लोकप्रिय हिल स्टेशन है। भारत भर से और विदेशों से पर्यटक नेतरहाट जाते हैं, जिसके नाम का मतलब प्रकृति का दिल है।
भारत के पूर्वोत्तर में बेहतरीन पार्कों में से एक के रूप में वर्णित वन्य जीवों की विभिन्न प्रकार की नजदीकी रेंज से देखने के लिए, पार्क में घुसने के लिए मार्गदर्शक और स्पॉटलाइट के साथ हाथी की सवारी और जीप उपलब्ध हैं। जंगली जीवन को देखने के लिए टावरों और जमीन गुफाएँ बनाई गई हैं। पार्क पूरे वर्ष खुला है रहता है। वन्यजीव को देखने के लिए मई से जून का महिना सबसे सर्वोतम है, जब पत्ते मोटे नहीं होते हैं तब जलवायु के संदर्भ में आने के लिए सबसे आरामदायक समय नवंबर और मार्च के बीच है|
पार्क के जंगलों में वनस्पति की एक विशाल सीमा है जिसमें निचले इलाकों में उष्णकटिबंधीय गीला सदाबहार वन हैं, मध्य और समशीतोष्ण अल्पाइन जंगलों में मिश्रित (नम और शुष्क) पर्णपाती जंगलों में ऊपरी हिस्से में सैल और बांस शामिल हैं जिनमें प्रमुख घटक हैं कई औषधीय पौधों के साथ कोयल नदी के बहने वाले क्षेत्र में घास के मैदान हैं खुद और इसकी उपनगरों पार्क के उत्तरी भाग के माध्यम से चलाते हैं।
पार्क में विभिन्न प्रकार के ईको-प्रणालियां और बहुत से जंगली जानवर हैं। बड़ी संख्या में हाथियों को मानसून के बाद ज्यादातर बार देखा जाता है जब मार्च में जल का स्त्रोत सूखना शुरू हो जाता है। स्थायी निवासियों में शिकारियों स्लॉथ भाई, पैंथर, जंगली भालू और भेड़िया शामिल हैं। सियार और हाइना सामान्य स्वैच्छिक हैं गौर और चित्तल के बड़े झुंड सामान्यतः देखा जाता है। लंगर्स के बड़े परिवार एक वर्तमान आकर्षण हैं, जैसे रीसस बंदर। पार्क में पाए जाने वाले अन्य जानवरों में माउस डियर, सांभर, चार सींग वाले प्राचीन गोला, नीलगाई, ककर, छोटे भारतीय सिव्टेस, चींटी खाने पैंगोलिन, साहीमो और मोंगोज हैं।
पार्क की समृद्ध बर्ड लाइफ़ में हॉर्नबिल, मोहरे, लाल जंगल फ़ॉवल, काली आट्रिज, व्हाइट-गर्दन वाले स्टॉर्क, ब्लैक इबिस, दलदल ग्रे, बटेर, पेड हॉर्नबिल, वेगाटल्स, हियाल, कबूतर, ड्रोंगो, क्रेस्टेड सर्प-ईगल, फ़ॉरेस्ट बटुआ, पेपेहा और अन्य पक्षियों को आमतौर पर शुष्क पेड़ोंदार वनों में पाया जाता है। प्रसिद्ध कमलदाह झील में कई तरह के पानी के पक्षियों को आकर्षित किया जाता है जिनमें आम सीटी और कपास की चटनी, कंघी बतख, सांप और हंस शामिल हैं।
9) तिलैया बांध (Tilaiya Dam)
36 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला कोडरमा जिला का तिलैया डैम अपनी प्राकृतिक परिवेश के कारण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। 1200 फीट लंबे डैम सुंदर झील से घिरा है। अब लंबे समय के बाद तिलैया डैम में पर्यटकीय विकास की भी शुरूआत हो रही है।
कोडरमा जिले का तिलैया डैम अब समुद्र बीच की तरह दिखेगा। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटन विभाग ने योजना बनाई है। लंबे समय बाद तिलैया डैम में पर्यटकीय विकास की भी शुरुआत हो रही है। यहां समुद्र का हलचल तो नहीं लेकिन बीच का मजा लोग उठा सकेंगे। हाल के वर्षों में यहां 36 लाख की लागत से डबल डेकर बोट की सुविधा बहाल की गई है। अब पर्यटकों को बीच का अनुभव के साथ-साथ जल क्रीड़ा की सुविधा भी बहाल की जा रही है। आने वाले कुछ समय में यहां कई परिवर्तन दिखेगा। फिलहाल तिलैया डैम के इस खुबसूरत झील के उरवां क्षेत्र में बीच निर्माण किया जाएगा। मुख्य सड़क से सटे होने के कारण यहां लोगों की हलचल काफी बढ़ेगी। बीच वाले क्षेत्र में लग्जरी बीच चेयर, लग्जरी अंब्रेला भी लगाए जाएंगे। वहीं झील के पानी के साथ मौज-मस्ती के लिए स्पोर्टस बोट, टोईंग रोपे, वाटर रोलर, एयर बैंलोर, टोएबल सर्फिंग बोर्ड, स्नोकर्ल आदि की सुविधा बहाल की जा रही है। इसके लिए इसी माह टेंडर भी निकाली जाएगी, ताकि जल्द से जल्द लोगों को लाभ मिल सके। पूरी सुविधा बहाल होने के बाद एक साथ 75 व्यक्ति तक मजा ले सकेंगे। तिलैया डैम में पर्यटकीय विकास के लिए राज्य पर्यटन विभाग से करीब एक करोड़ की राशि भी इन कार्यों के लिए प्राप्त हुई है। इन विकास कार्यों से तिलैया डैम का अन्य उपेक्षित क्षेत्र भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होगा। फिलहाल डैम के पास का ही क्षेत्र को अभी लोग पसंद करते है। ऐसे में विकास कार्यो के धरातल पर उतरने के बाद व्यापक बदलाव की संभावना बनेगी। साथ ही क्षेत्र में रोजगार के भी कई अवसर खुलेंगे।
10) सिद्धू कान्हू पार्क (Sidhu Kanhu Park)
सिद्धू कान्हू पार्क झारखण्ड की राजधानी रांची में बनाया गया एक खूबसूरत पार्क जो संथाल विद्रोह के नेता जिन्होंने 1850 के दशक में ब्रिटिश शासक और जमींदार व्यवस्ता के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी ,सिद्धू कान्हू मुर्मू दोनों भाई थे जिन्होंने संथाल विद्रोह की सुरुवात की थी| इन्ही दोनों भाइयो के सम्मान में सिद्धू कान्हू उद्यान को बनाया गया है| रांची के भीड़ -भाड़ क्षेत्र में रांची के मोराबादी स्थित राजभवन मार्ग में बनाया गया सिद्धू कान्हू उद्यान शांत और बेहद सुन्दर तरीके से बनाया गया हे| पार्क में लोगो को अपना समय व्यतीत करना परिवार और बच्चो के साथ खेलना ,मनोरंजन करना अधिक पसंद आता है|
सिद्धू कान्हू पार्क को बहुत ही खूबसूरत तरीके से बनाया गया है ,पार्क में घुसते ही चारो ओर पेड़ -पैधे ,छोटे -छोटे झाडिया सभी तरफ लगी हुई है जिसे बहुत अच्छे तरीके से काट -छाट कर के पुरे पार्क में लगया गया है जो देखने में बहुत ही आकर्षित लगता है साथ ही पुरे पार्क में रंग -बिरंगे कई तरह के फूल लगाए गए जो पार्क की सुंदरता को निखारती है| सिद्धू कान्हू पार्क के बोन्ड्री के दीवारों पर सुन्दर -सुन्दर आकृतियाँ बनाया हुआ है| पार्क के बिच में बना सिद्धू कान्हू मुर्मू का स्टेचू पार्क में आये लोगो का आकर्षण का केंद्र रहा है जो एक बड़े से फव्वारे के बिच बनाया गया है, लेकिन संथाली लोग और आदिवासी सिद्धू कान्हू मुर्मू के स्टेचू को पूजते तथा मानते है| हर आदिवासी पर्व -तेव्हार में भारी संख्या में पार्क जाकर उन्हें पूजते है|
सिद्धू कान्हू पार्क रांची के भीड़ -भाड़ क्षेत्र में होने के बावजूद वह जाने पर एकांत और समय के कुछ पल व्यतीत करने के लिए एक अच्छी जगह है| पार्क के अंदर में आपको देखने को सिद्धू कान्हू का स्टेचू बिरसा मुंडा का भी एक छोटा सा स्टेचू देखने को मिलेगा| साथ ही पार्क में मानव निर्मित एक तालाब बना हुआ है और तालाब के बिच एक हंस का जोड़ा बना हुवा है| मानव निर्मित झरना छोटे -छोटे ब्रिज भी बना हुआ है| पार्क के सभी तरफ छोटे -बड़े आकृतिया बना दिखाई देगा|
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