बनारस में घूमने लायक कुछ प्रसिद्द जगहें। (Part-2) Some famous places worth visiting in Banaras (Part-2)

Aditya
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9. भारत कला भवन

 

**भारत कला भवन** वाराणसी में स्थित एक महत्वपूर्ण संग्रहालय है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और कलात्मक धरोहर के लिए जाना जाता है। यह संग्रहालय **बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU)** के परिसर में स्थित है, जो वाराणसी के प्रमुख भाग में आता है।

 

यहाँ क्यों घुमना जाता है:

 

1. **सांस्कृतिक धरोहर**: भारत कला भवन भारतीय कला, संस्कृति, और इतिहास का समृद्ध संकलन प्रस्तुत करता है। यहाँ आप प्राचीन मूर्तियों, पेंटिंग्स, और कलात्मक वस्त्रों को देख सकते हैं, जो भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता को दर्शाते हैं।

 

2. **शैक्षिक महत्त्व**: यह संग्रहालय विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए एक अमूल्य संसाधन है। यहाँ की प्रदर्शनी भारत के विभिन्न कालखंडों और सांस्कृतिक परंपराओं का गहन अध्ययन करने का अवसर प्रदान करती है।

 

3. **कलात्मक सौंदर्य**: भारत कला भवन में विभिन्न प्रकार की कला और शिल्पकला की प्रदर्शनी होती है, जैसे प्राचीन चित्रकला, मूर्तिकला, और हस्तशिल्प। यह कला प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।

 

4. **सांस्कृतिक आदान-प्रदान**: यहाँ आकर लोग भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की गहराई से साक्षात्कार करते हैं और विभिन्न कलात्मक शैलियों की समझ विकसित करते हैं।

 

भारत कला भवन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के परिसर में स्थित है। BHU वाराणसी के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है, और यह शहर के केंद्र से लगभग 8-10 किलोमीटर की दूरी पर है। BHU का कैंपस काफी बड़ा और हरित है, जिससे यहाँ की यात्रा एक सुखद अनुभव होती है।

 

यात्रा के लिए, आप वाराणसी के किसी भी प्रमुख स्थान से BHU तक आसानी से पहुँच सकते हैं, और यहाँ का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व आपको एक अनूठा अनुभव प्रदान करेगा।

 


10. अशोक स्तंभ

 

**अशोक स्तंभ** वाराणसी में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। यह स्तंभ भारतीय सम्राट अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था और यह बौद्ध धर्म के प्रचार और इतिहास का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।

 

यहाँ क्यों घुमना जाता है:

 

1. **ऐतिहासिक महत्व**: अशोक स्तंभ सम्राट अशोक के शासनकाल का एक महत्वपूर्ण स्मारक है। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया था और अपने साम्राज्य में इसके प्रचार-प्रसार के लिए कई स्तंभ स्थापित किए थे। यह स्तंभ अशोक के शासनकाल की ऐतिहासिक महत्ता और उनकी धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है।

 

2. **सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व**: अशोक स्तंभ बौद्ध धर्म से संबंधित है और यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है। यहाँ पर दर्शन करने से लोग बौद्ध धर्म के इतिहास और उसकी शिक्षाओं के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

 

3. **कलात्मक महत्व**: स्तंभ पर उकेरे गए लेख और चित्रण कला की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। यह भारतीय पुरातन कला और शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

 

अशोक स्तंभ वाराणसी के **सारनाथ** क्षेत्र में स्थित है। सारनाथ वाराणसी के उत्तर-पूर्वी भाग में लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है और यहीं पर भगवान बुद्ध ने अपने पहले उपदेश दिए थे।

 

अशोक स्तंभ सारनाथ के मुख्य स्थल पर स्थित है, जहाँ आपको कई अन्य ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी मिलेंगे, जैसे कि बौद्ध विहार और स्तूप। इस क्षेत्र में भ्रमण करने से आपको भारतीय धर्म और इतिहास की गहरी समझ प्राप्त होगी।

 


11. रामनगर किला

 

**रामनगर किला** वाराणसी में एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है। यह किला उत्तर भारत के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है।

 

यहाँ क्यों घुमना जाता है:

 

1. **ऐतिहासिक महत्व**: रामनगर किला 18वीं शताब्दी में बनवाया गया था और यह किला काशी के पूर्व शासक, राजा बलवंत सिंह द्वारा निर्मित किया गया था। यह किला वाराणसी के ऐतिहासिक और शाही इतिहास की झलक पेश करता है।

 

2. **सांस्कृतिक धरोहर**: किला काशी राजवंश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है। यहाँ के महल, मंदिर और संग्रहालय भारतीय शाही जीवन और संस्कृति के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।

 

3. **आर्किटेक्चर**: किले की वास्तुकला में भारतीय और यूरोपीय शैलियों का संगम देखने को मिलता है। इसका डिजाइन और सजावट ऐतिहासिक शिल्पकला का बेहतरीन उदाहरण हैं।

 

4. **संग्रहालय**: रामनगर किला में एक संग्रहालय भी है, जिसमें ऐतिहासिक वस्तुएं, चित्र, और पारंपरिक शाही वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। यह संग्रहालय पर्यटकों को किला और उसके शाही इतिहास के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करता है।

 

रामनगर किला वाराणसी के **रामनगर** क्षेत्र में स्थित है। यह वाराणसी शहर के मुख्य भाग से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर, गंगा नदी के किनारे पर स्थित है। आप वाराणसी शहर से टैक्सी, ऑटो रिक्शा, या बस के माध्यम से आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं। किला गंगा नदी के पास स्थित होने के कारण यहाँ की यात्रा एक मनोरम अनुभव होती है, विशेषकर नदी की ओर से।

 


12. आईएस्कॉन मंदिर

 

**आईएस्कॉन मंदिर** (ISKCON Temple) वाराणसी में एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भक्तों और पर्यटकों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह मंदिर अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (ISKCON) द्वारा संचालित है और विशेष रूप से श्री कृष्ण के भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है।

 

यहाँ क्यों घुमना जाता है:

 

1. **धार्मिक महत्व**: ISKCON मंदिर विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण और राधा की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर नियमित रूप से पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक शांति और आनंद प्रदान करते हैं।

 

2. **आध्यात्मिक अनुभव**: मंदिर का वातावरण शांति और समर्पण से भरा होता है, जो भक्तों को ध्यान और साधना के लिए प्रेरित करता है। यहाँ आकर लोग अपने धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन को पुनः संजीवनी मिलती है।

 

3. **सांस्कृतिक कार्यक्रम**: मंदिर में विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि राधा-कृष्ण के त्योहार, कृष्ण जन्माष्टमी, और गोवर्धन पूजा। इन अवसरों पर मंदिर में भव्य सजावट और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

 

4. **शांत वातावरण**: मंदिर का वातावरण बहुत शांत और सकारात्मक होता है, जो शहर की भागदौड़ से दूर एक शांति का अनुभव प्रदान करता है। यहाँ की सुंदर वास्तुकला और सजावट भी दर्शकों को आकर्षित करती है।

 

ISKCON मंदिर वाराणसी के **दशाश्वमेध घाट** क्षेत्र के नजदीक स्थित है। यह मंदिर वाराणसी शहर के प्रमुख और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में से एक में स्थित है, जिससे इसे पहुँचना आसान होता है। दशाश्वमेध घाट वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों में से एक है और यह शहर के केंद्र से लगभग 5-6 किलोमीटर की दूरी पर है।

 

आप वाराणसी के किसी भी प्रमुख स्थल से टैक्सी, ऑटो रिक्शा या स्थानीय परिवहन के माध्यम से ISKCON मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते हैं। यहाँ आने से आपको धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टिकोण से एक अनूठा अनुभव मिलेगा।

 


13. अलकनंदा क्रूज

 

**अलकनंदा क्रूज** वाराणसी में एक अनूठा और रोचक अनुभव प्रदान करता है। यह क्रूज गंगा नदी पर चलती है और पर्यटकों को वाराणसी के दर्शनीय स्थलों को एक अलग और आरामदायक दृष्टिकोण से देखने का मौका देती है।

 

यहाँ क्यों घुमना जाता है:

 

1. **गंगा नदी पर सफर**: अलखनंदा क्रूज गंगा नदी पर चलती है, जो भारत की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। इस क्रूज पर यात्रा करते समय आप गंगा की शांत और सुंदर वायु का आनंद ले सकते हैं, जो एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है।

 

2. **प्राकृतिक सौंदर्य**: क्रूज यात्रा के दौरान आप गंगा नदी के किनारे बसे ऐतिहासिक घाटों, मंदिरों और प्राकृतिक सौंदर्य को देख सकते हैं। सूर्यास्त या सूर्योदय के समय इस क्रूज पर यात्रा करना विशेष रूप से सुंदर और मनमोहक होता है।

 

3. **सांस्कृतिक अनुभव**: क्रूज के दौरान, आपको गंगा नदी के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को समझने का मौका मिलता है। आप नदी के किनारे होने वाले प्रमुख धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-अर्चना को दूर से देख सकते हैं।

 

4. **आरामदायक यात्रा**: अलखनंदा क्रूज आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होती है, जिसमें आरामदायक सीटिंग, भोजन और पेय की सेवाएँ शामिल होती हैं। यह यात्रा एक आरामदायक और सुखद अनुभव प्रदान करती है।

 

अलकनंदा क्रूज वाराणसी में **गंगा नदी** के किनारे स्थित विभिन्न घाटों से संचालित होती है। क्रूज आमतौर पर **दशाश्वमेध घाट** या **मंझगांव घाट** से शुरू होती है, जो वाराणसी के प्रमुख और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में से एक है। दशाश्वमेध घाट वाराणसी शहर के केंद्र से लगभग 5-6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहाँ से क्रूज के लिए पहुँचना बहुत ही आसान होता है।

 

आप वाराणसी में किसी भी प्रमुख स्थल से टैक्सी, ऑटो रिक्शा, या स्थानीय परिवहन के माध्यम से आसानी से इन घाटों तक पहुँच सकते हैं। गंगा नदी पर क्रूज यात्रा से आपको वाराणसी के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं को एक नई और सुंदर दृष्टि से देखने का मौका मिलेगा।

 

14. संत रविदास स्मारक पार्क

 

**संत रविदास स्मारक पार्क** वाराणसी में एक महत्वपूर्ण और शांति प्रदान करने वाला स्थल है, जो विशेष रूप से संत रविदास की स्मृति में बनाया गया है। संत रविदास एक प्रसिद्ध भक्त कवि और समाज सुधारक थे, जिनकी शिक्षाएं सामाजिक समानता और भक्ति पर आधारित थीं।

 

यहाँ क्यों घुमना जाता है:

 

1. **धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व**: संत रविदास स्मारक पार्क संत रविदास की जीवन और शिक्षाओं की स्मृति में निर्मित है। यहाँ आने से आप संत रविदास की शिक्षाओं और उनके जीवन के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। यह स्थल समाज में भक्ति, समानता और मानवता के संदेश को फैलाने का माध्यम है।

 

2. **शांति और सौंदर्य**: पार्क का शांत और हरा-भरा वातावरण यात्रियों को एक आरामदायक और मनोहर अनुभव प्रदान करता है। यहाँ की सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण लोगों को ध्यान और आत्म-परिवर्तन के लिए प्रेरित करता है।

 

3. **सांस्कृतिक कार्यक्रम**: यहाँ विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जैसे कि संत रविदास के जन्मोत्सव और उनके उपदेशों पर विचार-विमर्श। ये कार्यक्रम भक्तों और पर्यटकों को संत रविदास के विचारों से जुड़ने का मौका देते हैं।

 

4. **स्मारक और संग्रहालय**: पार्क में संत रविदास की मूर्ति और उनके जीवन पर आधारित प्रदर्शनी भी होती है, जो उनके जीवन और कार्यों के बारे में जानकारी प्रदान करती है। यह संग्रहालय और स्मारक यात्रियों को संत रविदास के प्रति गहरी समझ और सम्मान प्रदान करते हैं।

 

संत रविदास स्मारक पार्क वाराणसी के **सारनाथ** क्षेत्र में स्थित है। सारनाथ वाराणसी के प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों में से एक है और शहर के उत्तर-पूर्वी भाग में लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

 

सारनाथ में स्थित होने के कारण, आप यहाँ आने के लिए वाराणसी के किसी भी प्रमुख स्थल से टैक्सी, ऑटो रिक्शा, या बस के माध्यम से आसानी से पहुँच सकते हैं। यह पार्क यात्रा करने के लिए एक आदर्श स्थल है, जहाँ आप न केवल संत रविदास के जीवन के बारे में जान सकते हैं, बल्कि एक शांतिपूर्ण और सुंदर वातावरण का भी आनंद ले सकते हैं।

 


15. दीनदयाल हस्तकला संकुल

 

**दीनदयाल हस्तकला संकुल** वाराणसी में एक प्रमुख हस्तशिल्प केंद्र है। यहाँ पर घूमने के कई कारण हैं और यह स्थान वाराणसी के केंद्र में स्थित है।

 

यहाँ क्यों घुमना जाता है:

 

1. **स्थानीय हस्तशिल्प का प्रदर्शन**: दीनदयाल हस्तकला संकुल में बनारसी साड़ियों, कशीरी वर्क, और अन्य पारंपरिक हस्तशिल्प वस्तुओं का बेहतरीन संग्रह होता है। यहाँ पर आप विभिन्न प्रकार के हस्तनिर्मित वस्त्र और अन्य कला वस्तुएं देख सकते हैं, जो वाराणसी की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को दर्शाते हैं।

 

2. **खरीददारी का अवसर**: अगर आप बनारसी साड़ी, कालीन, चादर, और अन्य हस्तशिल्प उत्पाद खरीदना चाहते हैं, तो यह स्थान आदर्श है। यहाँ की वस्तुएं सीधे कारीगरों से मिलती हैं, जिससे आप गुणवत्तापूर्ण और असली हस्तशिल्प वस्त्र प्राप्त कर सकते हैं।

 

3. **संस्कृतिक अनुभव**: यहाँ आने से आपको वाराणसी की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को नजदीक से जानने का मौका मिलता है। यह स्थान स्थानीय कला और संस्कृति को समझने में मदद करता है।

 

4. **कला प्रेमियों के लिए**: हस्तशिल्प और कला के शौकीनों के लिए यह जगह विशेष रूप से आकर्षक है, क्योंकि यहाँ पर विविध प्रकार की कला और शिल्प सामग्री की प्रदर्शनी होती है।

 

**वाराणसी में स्थिति**: दीनदयाल हस्तकला संकुल वाराणसी शहर के प्रमुख स्थानों में से एक है। यह वाराणसी के गंगाजल के पास स्थित है, और इसे बिंदु विहार क्षेत्र के अंतर्गत रखा जाता है। यह प्रमुख स्थानों जैसे कि काशी विश्वनाथ मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल के करीब है, जिससे यहाँ आना और भी सुविधाजनक हो जाता है।

 

संक्षेप में, दीनदयाल हस्तकला संकुल वाराणसी की हस्तशिल्प और सांस्कृतिक धरोहर को जानने और अनुभव करने के लिए एक बेहतरीन स्थल है।



16. मणिकर्णिका घाट

 

**मणिकर्णिका घाट** वाराणसी के सबसे प्रमुख और पवित्र घाटों में से एक है। यह घाट गंगा नदी के किनारे स्थित है और इसका धार्मिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है।

 

यहाँ क्यों घुमना जाता है:

 

1. **धार्मिक महत्व**: मणिकर्णिका घाट हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है। इसे प्रमुखता से एक प्रमुख श्मशान घाट के रूप में जाना जाता है, जहाँ हिंदू शवों को अंतिम संस्कार के लिए जलाया जाता है। यहाँ पर मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त करने की मान्यता है, जिससे यह स्थल विशेष रूप से धार्मिक यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है।

 

2. **आध्यात्मिक अनुभव**: घाट पर होने वाले अंतिम संस्कार और विधियाँ लोगों को जीवन और मृत्यु के चक्र के बारे में सोचने पर मजबूर करती हैं। यहाँ का वातावरण और धार्मिक अनुष्ठान एक गहन आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं।

 

3. **सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण**: मणिकर्णिका घाट वाराणसी के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ की गतिविधियाँ और धार्मिक रीतियाँ भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती हैं।

 

4. **चित्रमय दृश्य**: गंगा नदी के किनारे स्थित यह घाट सुरम्य और चित्रमय दृश्य प्रदान करता है। सूर्यास्त या सूर्योदय के समय घाट का दृश्य बेहद आकर्षक और मनमोहक होता है।

 

मणिकर्णिका घाट वाराणसी के **पंचगंगा घाट** क्षेत्र में स्थित है। यह घाट वाराणसी शहर के प्रमुख धार्मिक घाटों में से एक है और गंगा नदी के किनारे पर स्थित है।

 

यहाँ पहुँचना आसान है क्योंकि यह वाराणसी के मुख्य भाग से केवल कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप वाराणसी के किसी भी प्रमुख स्थल से टैक्सी, ऑटो रिक्शा, या पैदल यात्रा के माध्यम से मणिकर्णिका घाट तक पहुँच सकते हैं।

 

मणिकर्णिका घाट पर जाकर आप न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि वाराणसी की प्राचीन परंपराओं और जीवन के अंतिम अनुष्ठानों को भी देख सकते हैं।

 


 

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