मध्य प्रदेश के 15 प्रमुख पर्यटन स्थल और उसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी |
खनिज संसाधनों से समृद्ध मध्य प्रदेश हीरे और ताम्बे का सबसे बड़ा भंडार हैं | अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन हैं | इसके पर्यटन उधोग के काफी वृद्धि हुई हैं | इस राज्य ने वर्ष 2010—11 के लिए पर्यटन पुरस्कार जीता था |
मध्यप्रदेश में कई मंदिर, स्मारक और महल हैं जो दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. विदेशी सैलानियों को विश्व प्रसिद्ध खुजराहो खूब आकर्षित करता है. मध्य प्रदेश में ग्वालियर का किला, ओरछा, नेशनल पार्क और वाईल्डलाइफ सेंचुरी भी हैं. अगर आप मध्य प्रदेश घूमने का प्लान कर रहे हैं तो ये हैं एमपी के 15 सबसे खूबसूरत पर्यटक स्थल हैं |
खजुराहो
पंचमदी
ग्वालियर
कान्हा राष्ट्रीय उधान
ओरछा
ओराकेश्वर
सांची
उज्जैन
इंदौर
भोपाल
मांडू
अमरकंटक
महेश्वरी
जबलपुर
हनुवान्तिया
खजुराहो --- ये मंदिर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित हैं। वे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों का हिस्सा हैं और भारतीय ऐतिहासिक वास्तुकला का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन 25 महत्वपूर्ण मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश द्वारा 885 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच करवाया गया था। मंदिर अपनी उत्कृष्ट शिल्प कौशल और समृद्ध ऐतिहासिक मूल्य के कारण दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। भोपाल एयरपोर्ट से आप हवाई मार्ग से आसानी से खजुराहो पहुंच सकते हैं। पर्यटकों को इस खूबसूरत जगह तक ले जाने के लिए एयरपोर्ट से करीब 20 बसें चलती हैं|
पंचमदी ---- पचमढ़ी भारत के ह्रदय मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित एक अतिसुन्दर हिल स्टेशन है। मध्यप्रदेश का एक मात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी सतपुड़ा की खूबसूरत पहाड़ियों के मध्य स्थित होने कारण सतपुड़ा की रानी के नाम से विश्व प्रसिद्ध है। पचमढ़ी के घने वन, बड़े बड़े जलप्रपात, निर्मल स्वच्छ जल के तालाब, औपनिवेशिक शैली की वास्तुकला में निर्मित आकर्षक चर्च को देखने के लिए दुनिया भर के लोग यहाँ आते है। यहाँ पाण्डवों के पचमढ़ी में आवास करने और गुफाओं में प्राचीन शैलचित्र बने होने के कारण ये गुफाएं पौराणिक और पुरातात्विक महत्व रखती हैं। भगवान शिव के जटा शंकर, गुप्त महादेव, चौरागढ़ और महादेव गुफा में रुकने के कारण इसे भगवान शिव का दूसरा घर भी कहा जाता है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के नवविवाहित लोगों के लिए यह सस्ता, सुन्दर और सुलभ हनीमून डेस्टिनेशन है।
ग्वालियर ---- यह शहर और इसका प्रसिद्ध दुर्ग उत्तर भारत के प्राचीन शहरों के केन्द्र रहे हैं। यह शहर प्रतिहार राजवंश, तोमर तथा कछवाहा की राजधानी रही है । यह किला क्षत्रिय शासक सूरज सेन कछवाहा के द्वारा निर्मित किया गया था प्राचीन चिन्ह स्मारकों, किलों, महलों के रूप में मिल जाएँगे।यह एक ऐतिहासिक शहर है जो अपने मंदिरों, प्राचीन महलों और करामाती स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है जो किसी भी यात्री को पुराने ज़माने में ले जाते हैं। ग्वालियर को हिन्द के किले के हार का मोती कहा जाता है। यह स्थान ग्वालियर किले के लिए प्रसिद्ध है जो कई उत्तर भारतीय राजवंशों का प्रशासनिक केंद्र था।ग्वालियर के लिए कितने दिन पर्याप्त हैं? ग्वालियर की यात्रा और सभी प्रमुख दर्शनीय स्थलों को कवर करने के लिए 2-3 दिन पर्याप्त हैं। आप लगभग 3 दिनों में जय विलास पैलेस, ग्वालियर किला, सूर्य मंदिर, तिघरा बांध और कई अन्य स्थानों को आसानी से कवर कर सकते हैं।
कान्हा राष्ट्रीय उधान -----कान्हा नेशनल पार्क को 1 जून 1955 को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ और इसके 18 साल बाद यानी कि 1973 में कान्हा टाइगर रिजर्व बनाया गया। वैसे तो कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान में कई प्रजातियों के पक्षियों तथा जंगली जानवरों का घर माना जाता है लेकिन भारत का कान्हा राष्ट्रीय पार्क प्रसिद्ध है बारहसिंघा के लिए यह देश की एकमात्र एसी जगह है जहां बारहसिंघा सबसे ज्यादा पाए जाते हैं।
जब देश से इन की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर थी तभी केंद्र सरकार ने इनके संरक्षण के लिए कान्हा उद्यान में इनके रखरखाव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उठाई इसीलिए आज यह पूरी तरह से यहां पर घूम फिर पा रहे हैं।
ओरछा ---- ओरछा मध्य प्रदेश के बेतवा नदी कि किनारे स्थित एक सुन्दर नगर है, जिसे मध्य प्रदेश का शाही शहर भी कहा जाता है। बता दे प्राचीन में ओरछा को “उरछा” के नाम से भी जाना जाता है। मध्य प्रदेश टुरिसम को बढ़ाता हुआ “ओरछा” इंडिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो बुंदेला युग का स्मरण कराता है। ओरछा को इतिहास शौकीनों के घूमने के लिए मध्यप्रदेश की सबसे अच्छी जगहें में से माना जाता है। जब भी आप ओरछा घूमने जायेगें तो आपको यहां बिभिन्न हिस्ट्रीकल प्लेसेस, टेम्पल्स, फोर्ट और अन्य टूरिस्ट अट्रेक्शन देखने को मिलेगें, जो हर साल हजारों पर्यटकों की मेजबानी करता है।
ओरछा मध्य प्रदेश का ऐसा टूरिस्ट प्लेस है, जो फ्रेंड्स टूर, फैमली वेकेशन और यहाँ तक की न्यू मेरिड कपल्स के लिए भीं इंडिया की बेस्ट हॉलिडे डेस्टिनेशन में से एक माना जाता है। ओरछा के महलों और मंदिरों की मध्ययुगीन वास्तुकला फोटोग्राफरों के लिए भी अट्रेक्शन का केंद्र बनी हुई है।
ओराकेश्वर ---- ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। ओंकारेश्वर मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। इस मंदिर के गर्भ गृह में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक विराजमान है। इस मंदिर के अंदर आपको सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिलती है। इस मंदिर में जो पिलर बने हुए हैं, उनमें भी सुंदर नक्काशी की गई है। आपको यहां पर शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर बहुत सारे शिवलिंग विराजमान है। यह ओंकारेश्वर मंदिर में नर्मदा नदी के बीच में बने एक टापू पर विराजमान है। इस टापू में आप पुल के माध्यम से और नाव के माध्यम से जा सकते हैं। यहां पर आपको सुंदर मंदिर देखने के लिए मिलेगा और ओमकारेश्वर शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलेंगे। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है। यहां पर नर्मदा नदी का दृश्य देखने लायक रहता है। यहां पर बड़ी दूर दूर से लोग ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां पर आप घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां के चारों तरफ के माहौल में शांति है। यहां पर आप अपनी फैमिली और दोस्तों के साथ घूमने के लिए आ सकते हैं।
सांची ---- जब बौद्ध धर्म अपने चरम पर था तो सांची (Sanchi) का वैभव एवं महत्व भी चरम पर था | उस दौर की निशानिया सांची में आज भी मौजूद है | उस चरम के अवशेष के रूप में यहाँ बौद्ध विहार एवं स्तुपो को आज भी देखा जा सकता है | सम्राट अशोक के शासनकाल में सांची (Sanchi) बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार का प्रमुख केंद्र था | यहाँ पुरानी धरोहरों की उचित देखभाल और संरक्षण के कारण हे सांची (Sanchi) ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है और देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खींचा है | विधिशा के उत्तर-पश्चिम में करीब नौ किमी की दूरी पर बसा सांची बीना और भोपाल जंक्शन के बीच में है|यह अशोक से अधिक बुद्ध से संबंधित है। अशोक ने पहला स्तूप बनवाया और यहां कई स्तंभ बनवाए। प्रसिद्ध अशोक स्तंभों के मुकुट, जिनमें चार शेर पीछे की ओर खड़े हैं, को भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया है। सांची ने बौद्ध धर्म को अपनाया जिसने हिंदू धर्म की जगह ले ली।
उज्जैन ----भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित है। भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाने वाला उज्जैन, मालवा क्षेत्र में शिप्रा नदी के पूर्वी तट पर स्थित एक प्राचीन शहर है। यह पहले उज्जयिनी के रूप में जाना जाता था और शिप्रा के तट पर स्थित है। यह अवंती साम्राज्य की राजधानी थी और इसका नाम महाभारत में मिलता है। कुंभ मेले का त्योहार यहां हर 12 साल में आयोजित किया जाता है और इसमें प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। उज्जैन प्राचीन भारत के सबसे शानदार शहरों में से एक है क्योंकि इसे विभिन्न भारतीय विद्वानों के शैक्षिक केंद्र के रूप में माना जाता है। धर्म, वास्तुकला, और शैक्षिक मूल्य के मामले में उज्जैन की अपार संपत्ति यह भारतीय यात्रियों के लिए ही नहीं बल्कि विदेशी लोगों के बीच भी एक आकर्षण है।
आज के आर्टिकल में हम आपको उज्जैन शहर में घूमने वाली मशहूर जगहों (ujjain tourist places in hindi) के बारे में बताएंगे। चूंकि उज्जैन एक धार्मिक नगरी है, इसलिए यहां देखने के लिए बहुत से मंदिर हैं। जिसमें महाकालेश्वर और काल भैरव मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं। तो चलिए आज के इस आर्टिकल के जरिए हम आपको ले चलते हैं धार्मिक नगरी उज्जैन की यात्रा पर।
भोपाल ----झीलों की नगरी के नाम से मशहूर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में घूमने की जगह बहुत ही खूबसूरत और लोकप्रिय है जो हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। भोपाल और भोपाल के आस पास आपको कई ऐसे पर्यटन स्थल देखने को मिल जाएंगे जो पर्यटकों को भाव विभोर कर देते हैं।
भोपाल का बड़ा तालाब और छोटा तालाब पर्यटकों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। भोपाल भारत के सबसे साफ सुथरे शहरों में आता है जिसकी वजह से यह शहर पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। परिवार के साथ घूमना हो या फिर दोस्तो के साथ एन्जॉय करना हो भोपाल बहुत अच्छा टूरिस्ट डेस्टिनेशन है।भोपाल का इतिहास भी बेहद प्राचीन रहा है भोपाल का प्राचीन नाम भूपाल हुआ करता था जो की भोपाल के महाराजा भुपाल के नाम पर रखा गया और बाद में इसे बदलकर भोपाल कर दिया गया।
मांडू ---- मांडू मध्य प्रदेश के प्रमुख विरासतीय व पर्यटकीय स्थलों में से एक है। जिसके इतिहास को किसी के परिचय के आवश्यकता नही है जो रानी रूपमती और बादशाह बाज बहादुर के अमर प्रेम का साक्षी है। पहाड़ी पर स्थित मांडू इतिहास में रूचि रखने वालो के लिए मध्य प्रदेश का एक आदर्श पर्यटन स्थल है। इस छोटे से शहर को मध्य भारत का हम्पी भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश के अन्य ऐतिहासिक स्थानों की तरह मांडू भी वास्तुशिल्प भव्यता से परिपूर्ण है जो यहां के विभिन्न शासक युगों के प्रभाव को दर्शाता है। मांडू, अपनी समृद्ध और विविध इतिहास के साथ एक महत्वपूर्ण स्थान था। वास्तव में यह शहर मध्य प्रदेश के दिल में छिपा एक खजाना है। यहाँ कि हरियाली, प्राकृतिक सुन्दरता यहां आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र मानी जाती है।एक संस्कृत शिलालेख के अनुसार, मांडू का इतिहास 6 वीं शताब्दी में प्रारंभ होता है जब यह एक किलेबंद शहर था। 10 वीं या 11 वीं शताब्दी में परमार साम्राज्य के शासकों द्वारा मांडू को मांडवगढ़ नाम दिया गया था, वर्ष 1261 में भी परमार की राजधानी धार से मांडू स्थानांतरित की गई थी। बाद में, 1305 में, ख़िलजियों द्वारा परमार पर कब्जा कर लिया गया था और मालवा के अफगान शासक दिलावर खान ने इसका नाम मांडू से नाम बदलकर शादियाबाद रख दिया था। (1405-35) मांडू होशान शाह के हाथो में पहुच गया थ और उसके शासन में मांडू की शानदार इमारतें और संरचनाएँ सामने आईं जो बाद में शहर के प्रमुख पर्यटक आकर्षण बन गए।
अमरकंटक ---- अमरकंटक मध्य प्रदेश में विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है। अमरकंटक भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है, जिसकी वजह से इसे “तीर्थराज” (तीर्थों का राजा) के रूप में भी जाना जाता है। यह भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक नर्मदा का उद्गम स्थल है, जो अमरकंटक धाम की यात्रा को बेहद खास और पवित्र बनाता है और हर साल हजारों तीर्थ यात्रियों और टूरिस्टों को अपनी और अट्रेक्ट करता है। नर्मदा का उद्गम स्थल होने के साथ साथ अमरकंटक सोन और जोहिला नदियों के संगम स्थल के रूप में भी कार्य करता है।
बता दें कि अमरकंटक 1065 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मध्यप्रदेश का एक खुबसूरत हिल स्टेशन है, जो अपने कुछ अति सुंदर मंदिरों के लिए फेमस है। अमरकंटक के घने जंगलों में औषधीय गुणों से भरपूर पौधे हैं, जो इसे पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं।अमरकंटक का इतिहास में पवित्र और आध्यात्मिक का स्पर्श है। अमरकंटक पर 1800 के दशक में नागपुर के राजा का शासन था जो बाद में ब्रिटिश शासन के हाथों में चला गया था। जबकि यह पवित्र धाम धार्मिक महाकाव्य महाभारत में भी महत्वपूर्ण संबंध रखता है जहाँ माना जाता है कि पांडवों ने अपने निर्वासन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यहाँ बिताया था।
महेश्वरी ---- महेश्वर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है, जिसे अक्सर ‘मध्य भारत के वाराणसी’ के रूप में जाना जाता है। महेश्वर प्राचीन में मालवा साम्राज्य की रानी अहिल्याबाई के होल्कर राज्य की राजधानी थी, इसीलिए यहाँ की कई इमारतों और सार्वजनिक कार्यों में मराठा वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है। महेश्वर भगवान शिव जी को समर्पित एक छोटा शहर है कहा जाता है यह पवित्र नगर कभी हिंदू भक्तों के लिए प्रमुख आध्यात्मिक केंद्रों में से एक था। आज भी महेश्वर, आध्यात्मिक अनुभव चाहने वालों के लिये प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। आध्यात्मिकता के अलावा, माहेश्वरी साड़ियों के उत्पादन के लिए एक प्रसिद्ध केंद्र है, जो इस जगह को शोपिंग के लिए स्वर्ग बनाता है।महेश्वर का इतिहास कई सौ साल नही बल्कि युगों पुराना माना जाता है, जिसका उल्लेख रामायण में भी मिलता है। महेश्वर शहर की स्थापना सबसे पहले हैहयवंशी राजा सहस्त्रार्जुन ने की थी, जिनके पास 500 रानियाँ थी। रामायण में मिले उल्लेख के अनुसार माना जाता है, की सम्राट सहस्त्रार्जुन इतने शक्तिशाली थे वह अपनी हजार भुजाओं द्वारा नंदा नदी की धारा को रोक सकता था। उन्होंने एक बार रावण को युद्ध में भी हरा दिया था और उसे गिरफ्तार कर लिया। और महेश्वर में स्थित रावणेश्वर मंदिर उस जीत का प्रतीक है।
जबलपुर ---- जबलपुर भारत के मध्य राज्य का एक बहुत ही खूबसूरत शहर हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी 12.7 लाख आंकी गयी हैं। क्षेत्रफल की दृष्टी से जबलपुर शहर 367 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ हैं और इसकी ऊंचाई 412 मीटर हैं। जबलपुर शहर के पश्चिमी बाहरी क्षेत्र की एक चट्टानी पहाड़ी पर मदन महल फोर्ट बना हुआ हैं, जिसका निर्माण सन 1116 करवाया गया था। शहर में स्थित सदियों पुरानी पिसनहारी की मड़िया जैन मंदिर का मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती है। इसके अलावा हनुमंतल बाड़ा जैन मंदिर और रानी दुर्गावती संग्रहालय शहर के प्रमुख पर्यटक स्थलों में सुमार हैं।
जबलपुर शहर को एक औद्योगिक शहर के रूप में भी जाना जाता हैं और यह पवित्र नर्मदा नदी के तट पर स्थित हैं। यह शहर अपने आकर्षित घाटों, झरनों, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संरचनाओं की शानदार चमक और पर्यटन स्थलों के कारण यहां आने वाले पर्यटकों के लिए एक शानदार डेस्टिनेशन बन गया है। जबलपुर शहर के दर्शनीय स्थलों में शामिल नर्मदा नदी के पास स्थित 17वीं शताब्दी के दौरान निर्मित किया गया किला, रूपनाथ के पास स्थित भव्य मंदिर, संगमरमर की चट्टानें और धुंधार जलप्रपात जबलपुर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक हैं। जबलपुर की शानदार बैलेंसिंग रॉक एक साइट है, जोकि जबलपुर की यात्रा पर आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर लुभाती हैं। ब्रिटिश वास्तुकला की एक शानदार झलक जबलपुर शहर में देखने को मिलती हैं।
हनुवान्तिया ---- हनुवंतिया टापू मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित बेहद खूबसूरत जगह है। यह द्वीप खंडवा के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है जो अपने खुबसूरत दृश्यों और वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज के लिए फेमस है, और अपने इसी सुरम्य वातावरण और स्पोर्ट्स एक्टिविटीज हर साल हजारों पर्यटकों को अपनी और अट्रेक्ट करने में कामयाब होता है। बता दे हनुवंतिया द्वीप को हनुमंतिया द्वीप के नाम से भी जाना जाता है जिसे हाल ही में, मध्य प्रदेश पर्यटन विकास केंद्र द्वारा इस जगह को एक बेहतरीन दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित किया गया है। जब भी आप यहाँ आयेंगे तो यह द्वीप आपको बिभिन्न वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज, फ्लोटिंग, ट्रेकिंग, बर्ड वॉचिंग और वनस्पति निशान रोमांच के साथ आश्चर्यचकित करता है। इस आइलैंड में हर साल एक जल महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है जिसमे देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक शामिल हो सकते है।खंडवा से लगभग 47 किलोमीटर दूरी पर मुंदी नामक तहसील में स्थित हनुवंतिया टापू का इतिहास कुछ बर्षो पुराना ही है। इस खूबसूरत द्वीप का निर्माण इंदिरा सागर बांध के निर्माण से उत्पन्न हुई झील के कारण हुआ है। जबकि इस टापू को अपना नाम स्थानीय गाँव के नाम से प्राप्त हुआ है।
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